-लक्ष्मण खोत
पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) के राज्य की सत्ता में आने से पुणे जिले (Pune District) सहित पश्चिम महाराष्ट्र की राजनीति (West Maharashtra Politics) पर इसका बड़ा असर देखा जा रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद से ही पश्चिम महाराष्ट्र एनसीपी का गढ़ रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के सबसे ज्यादा 27 विधायक पश्चिम महाराष्ट्र से ही चुन कर आए थे। उसने शरद पवार (Sharad Pawar) और एनसीपी को नई ताकत दी थी। उसका कोई सानी नहीं था। पर अजीत पवार की बगावत के बाद एनसीपी के इस गढ़ में सेंध लग गई है।
पश्चिम महाराष्ट्र के सातारा, सांगली और अहमदनगर जिले के ज्यादातर विधायक आज भी शरद पवार के साथ पूरी मजबूती से खड़े दिखाई दे रहे हैं। पर पुणे जिले, सोलापुर, कोल्हापुर के ज्यादातर विधायक अजीत पवार के समर्थन में खड़े हैं। एनसीपी पर किसका वर्चस्व होगा इसका नजारा हमें चुनावों में ही देखने को मिलेगा।
अजीत पवार को सबसे अधिक ताकत पुणे जिले से मिला है। वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल, मावल विधायक सुनील शेलके, वडगांव शेरी विधायक सुनील टिंगरे, हड़पसर विधायक चेतन तुपे, इंदापुर विधायक दत्तात्रय भरणे, पिंपरी विधायक अन्ना बनसोडे, जुन्नर विधायक अतुल बेनके ने खुलकर अजीत पवार का साथ दिया है। जबकि खेड़ के विधायक दिलीप मोहिते पाटिल, शिरूर के विधायक अशोक पवार ने अभी तक अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं की है। वहीं कल तक अजीत के साथ खड़े शिरुर से सांसद अमोल कोल्हे सोमवार को यू-टर्न लेकर शरद पवार के खेमें में चले गए। कुल मिलाकर पुणे जिले के विधायकों का झुकाव अजीत पवार की तरफ है। ऐसे में शरद पवार का गढ़ कहे जाने वाले पुणे जिले की स्थिति को देखते हुए इसे पवार को झटका माना जा रहा है।
एनसीपी में उपजे नए संकट के कारण जिले के एनसीपी के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में असमंजस की स्थिति हो गयी है। हर कोई हैरान है कि जिले का कौन सा नेता किसके साथ है। सोलापुर जिले की राजनीति में शरद पवार और अजीत पवार दोनों के गुट 2007 से ही काम कर रहे हैं, लेकिन अब अजीत पवार का गुट पूरी तरह से अलग हो गया है। सोलापुर जिले के माढ़ा से एनसीपी विधायक बबनराव शिंदे और करमाला से एनसीपी प्रायोजित विधायक संजय शिंदे, एनसीपी के कट्टर समर्थक पूर्व विधायक राजन पाटिल का झुकाव उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की ओर है। जबकि मोहोल से विधायक यशवंत माने की भूमिका अभी भी स्पष्ट नहीं है। सवालों शरद पवार के साथ हमेशा वफादार रहने वाले कई नेता अजीत पवार के साथ जा रहे हैं, यह बड़े पवार को धक्का माना जा रहा है। हाल ही में एनसीपी में शामिल हुए पंढरपुर के नेता अभिजीत पाटिल शरद पवार के साथ नजर आ रहे हैं।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जयंत पाटिल के गृह जिले सांगली में एनसीपी के विभाजन के बाद भी पार्टी के सभी विधायक शरद पवार के साथ खड़े हैं। प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल, विधायक सुमन पाटिल, विधायक मानसिंह राव नाईक और विधान परिषद विधायक अरुण लाड ने शरद पवार के साथ रहने का फैसला किया है। जहां पश्चिम महाराष्ट्र के अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर विधायक बगावत पर उतर आए हैं, वही सांगली जिला मजबूती से शरद पवार के पीछे खड़ा है। सांगली जिले के आठ विधायकों में से तीन विधानसभा विधायक और एक विधान परिषद विधायक एनसीपी के हैं।
क्रांतिकारियों के जिले सातारा जिला हमेशा शरद पवार के साथ रहा है। सातारा जिले में एनसीपी के पास एक सांसद, तीन विधायक और एक विधान परिषद का विधायक हैं। जिले के वरिष्ठ एनसीपी नेता रामराजे नाइक निंबालकर ने अजीत पवार का समर्थन किया है। तो विधायक शशिकांत शिंदे, पूर्व मंत्री बालासाहेब पाटिल, विधायक मकरंद पाटिल, सांसद श्रीनिवास पाटिल शरद पवार के साथ खड़े हैं।
शरद पवार की सफलता कोल्हापुर जिले के बिना अधूरी है। एनसीपी के आगे बढ़ने में इस जिले का अहम योगदान रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नींव कोल्हापुर जिले में पड़ी। पार्टी गठन को लेकर प्रारंभिक बैठक कोल्हापुर जिले में हुई। पार्टी के गठन के बाद पहले चुनाव में कोल्हापुर जिले ने एनसीपी को दो सांसद और चार विधायक दिए थे। जिले में एनसीपी के नेता हसन मुश्रीफ ही सब कुछ थे। इस बीच, हसन मुश्रीफ ने अजीत पवार के साथ मंत्री पद की शपथ ली। इससे कोल्हापुर जिले में शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। पिछले चुनाव में जिले में एनसीपी के दो विधायक निर्वाचित हुए थे। नए घटनाक्रम में इन दोनों विधायकों के शरद पवार का साथ छोड़ने की पुष्टि हो चुकी हैं।
पश्चिमी महाराष्ट्र का अहमदनगर जिला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है। पिछले चुनाव में जिले के 12 में से 6 विधायक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चुने गये थे। अजीत पवार के अलग होने के बाद अहमदनगर जिले के विधायकों ने अभी तक खुली भूमिका नहीं निभाई है। पारनेर विधायक नीलेश लंके ने कहा कि वह जल्द ही अपनी भूमिका स्पष्ट करेंगे। वहीं अकोले से विधायक किरण लहामटे ने आज कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है। उसके बाद वो अपनी भूमिका की घोषणा करेंगे। शहर विधायक संग्राम जगताप ने अभी तक अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं की। बाकी तीन विधायकों में से कोपरगांव के आशुतोष काले विदेश में हैं। वहीं कर्जत जामखेड से विधायक रोहित पवार मजबूती के साथ शरद पवार के साथ खड़े हैं, जबकि राहुरी के प्राजक्त तनपुरे वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल के भतीजे हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि वह शरद पवार के साथ ही रहेंगे। हालांकि संग्राम जगताप, नीलेश लंके और किरण लाहमटे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के साथ सत्ता में जाने की संभावना जताई जा रही है।