आईसीयू में चूहों के काटने से नवजात की मौत पर बोले माता-पिता
Madhya Pradesh Hospital News: इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवाय) से दिल दहला देने वाला मामला सामने आने के बाद से राज्य के प्रशासन पर तरह-तरह के आरोप लग रहे है। अब परिजनों ने घटना की पूरी आपबीती सुनाई है। धार जिले के सरदारपुर निवासी देवराम और मंजू की नवजात बच्ची आईसीयू में भर्ती थी, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि अस्पताल ने सर्जरी के बाद संपर्क करने का वादा किया था, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी। बाद में स्थानीय आदिवासी कार्यकर्ताओं से उन्हें पता चला कि बच्ची को चूहों ने काट लिया था और कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई।
माता-पिता का कहना है कि उन्होंने कई दिनों तक अपनी बेटी की खबर का बेसब्री से इंतजार किया। मंजू ने कहा कि जब वह अस्पताल से निकली थीं, तब बच्ची अच्छी हालत में थी और कमजोर भी नहीं थी। दंपति ने दावा किया कि अस्पताल प्रशासन ने उनसे कहा था कि सर्जरी के बाद बच्ची की स्थिति सुधरने पर उन्हें फोन किया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जय आदिवासी युवा शक्ति ग्रुप के कार्यकर्ताओं के साथ माता-पिता ने इस घटना के विरोध में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बाहर धरना भी दिया।
देवराम और मंजू ने बताया कि उन्हें विश्वास दिलाया गया था कि बच्ची सर्जरी के बाद ठीक हो जाएगी। देवराम ने कहा, “हम दो दिन तक आईसीयू के बाहर बैठे रहे, लेकिन हमें न तो बच्ची को देखने दिया गया और न ही डॉक्टर से मिलने दिया गया। बाद में आर्थिक परेशानी के कारण हमें गांव लौटना पड़ा। हाल ही में हमें पता चला कि चूहों के काटने से हमारी बेटी की मौत हो गई है।” उन्होंने कहा कि अस्पताल ने उन्हें पूरी तरह अंधेरे में रखा।
यह भी पढ़ें: ब्रिटेन में है राहुल गांधी का बड़ा कारोबार! दावा करने वाले भाजपा नेता को ED का समन
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनगोरिया ने अस्पताल की लापरवाही स्वीकार की, लेकिन यह मानने से इनकार कर दिया कि बच्ची की मौत चूहे के काटने से हुई है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मृत्यु के समय बच्ची के माता-पिता मौजूद नहीं थे, इसलिए नियमानुसार अन्य मेडिकल स्टाफ और पुलिस को सूचित किया गया। सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई है।” इस बयान के बावजूद बच्ची की मौत ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना न सिर्फ इंदौर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर बहस छेड़ रही है।