जबलपुर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन (फोटो- सोशल मीडिया)
जबलपुर: मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पर दर्ज एफआईआर को लेकर जबलपुर में सियासी पारा चढ़ गया है। मंगलवार को शहर कांग्रेस अध्यक्ष सौरभ ‘नाटी’ शर्मा की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एसपी कार्यालय पर शांतिपूर्ण धरना दिया, लेकिन पुलिस ने उन्हें जबरन हिरासत में ले लिया। इस कार्रवाई के बाद कांग्रेस नेताओं ने एसपी संपत उपाध्याय पर पक्षपात और सत्ताधारी दल के इशारे पर काम करने के गंभीर आरोप लगाए।
धरना देने पहुंचे कांग्रेसियों का आरोप है कि कई बार मांग करने के बावजूद एसपी ज्ञापन लेने नहीं आए, जिसके विरोध में कार्यकर्ताओं ने “रघुपति राघव राजा राम” जैसे भजनों के साथ धरना जारी रखा। लेकिन थोड़ी ही देर में पुलिस ने बलपूर्वक प्रदर्शनकारियों को गाड़ियों में भरकर थाने भेज दिया।
विरोध स्वरूप भजन, फिर नारेबाजी और झड़प
धरने के दौरान कांग्रेसियों ने पहले भजन गाया और फिर मुख्यमंत्री व एसपी के खिलाफ नारेबाजी की। माहौल बिगड़ता देख पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खींचकर गाड़ियों में बिठा लिया। इस दौरान कुछ जगह हल्की झड़प भी हुई। गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश और बढ़ गया और सिविल लाइन थाना क्षेत्र में एसपी संपत उपाध्याय का पुतला फूंका गया।
नगर अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने मीडिया से कहा कि एसपी विपक्ष को दबाने का काम कर रहे हैं और शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं, महिलाओं तक को गिरफ्तार किया जा रहा है। शर्मा ने चेताया कि कांग्रेस अब एसपी को कुर्सी से हटवाने के लिए बड़ा आंदोलन छेड़ेगी।
कांग्रेस बोली- यह आंदोलन की शुरुआत है
जिला कांग्रेस नेता दिनेश यादव ने इस पूरे घटनाक्रम को ‘अघोषित इमरजेंसी’ बताया। उन्होंने कहा कि एसपी जनता के टैक्स से वेतन ले रहे हैं, लेकिन कार्य सरकार के एजेंट की तरह कर रहे हैं। कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यह विरोध केवल शुरुआत है। पार्टी शहर के विभिन्न हिस्सों में पुतला दहन और क्रमबद्ध प्रदर्शन कर जबलपुर बंद का आह्वान करेगी। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आनंद कलदगी के अनुसार, कांग्रेस के प्रदर्शन की कोई पूर्व सूचना नहीं थी और अचानक भीड़ जमा होने से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा था। इसलिए कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।
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अब यह मामला केवल FIR विरोध तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि कांग्रेस बनाम पुलिस प्रशासन का बड़ा टकराव बनता जा रहा है, जिसकी आंच पूरे राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकती है।