संयुक्त विपक्ष की प्रेस वार्ता (फोटो-सोशल मीडिया)
Delhi News: कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सोमवार को निर्वाचन आयोग पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रणाली सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहने का आरोप लगाया। साथ ही मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की संभावना से इनकार नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुमार ‘‘भाजपा प्रवक्ता” की तरह काम कर रहे हैं।
दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), आम आदमी पार्टी (आप) और शिवसेना(उबाठा) के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और मतदाता सूची में अनियमितताओं से संबंधित मुद्दों पर उनके सवालों का जवाब देने में ‘विफल’ रहे। विपक्षी दलों के मुताबिक सीईसी ने रविवार को अपने संवाददाता सम्मेलन में उन पर हमला करने का फैसला किया।
कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों की ओर से जारी संयुक्त बयान में आरोप लगाया गया कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने में निर्वाचन आयोग ‘पूरी तरह विफल’ रहा है। इन दलों ने कहा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि निर्वाचन आयोग का नेतृत्व ऐसे अधिकारी नहीं कर रहे हैं जो समान अवसर सुनिश्चित कर सकें। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, ‘‘मतदान का अधिकार संविधान द्वारा आम नागरिक को दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। लोकतंत्र इसी पर निर्भर करता है। निर्वाचन आयोग इसकी रक्षा के लिए बना निकाय है. लेकिन हम देख सकते हैं कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों द्वारा उठाए जा रहे महत्वपूर्ण सवालों का जवाब नहीं दिया और अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।”
तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने कहा कि यदि मतदाता सूची, जिसके आधार पर पिछला आम चुनाव हुआ था, सही नहीं है तो लोकसभा को भंग कर देना चाहिए। माकपा नेता जॉन ब्रिटास ने कहा कि विपक्षी दलों का दृढ़ विश्वास है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ने ‘‘संवैधानिक पद पर बने रहने का अधिकार खो दिया है और एक संवाददाता सम्मेलन करके विपक्षी दलों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। संवाददाताओं ने जब पूछा कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाने पर विपक्षी दल गंभीरता से विचार कर रहे हैं तो गोगोई ने कहा, ‘‘इस मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है और काफी हद तक सहमति बन चुकी है। हम सही समय पर सही फैसला लेंगे।”
ये भी पढ़ें- कांग्रेस और चुनाव आयोग का कलेश, गौरव गोगोई के निशाने पर ज्ञानेश
राजद नेता मनोज झा ने कहा कि हमारे सामने सभी संसदीय और कानूनी विकल्प खुले हैं और उनका इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया जैसी ही है। कानून के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल संसद द्वारा ही हटाया जा सकता है। संविधान के अनुसार, राज्यसभा के 50 सदस्यों या लोकसभा के 100 सदस्यों द्वारा समर्थित प्रस्ताव संसद में प्रस्तुत किया जाना चाहिए और सदन द्वारा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।-एजेंसी इनपुट के साथ