पुरानी मूर्तियों का क्या करना चाहिए (सौ.सोशल मीडिया)
Diwali 2024: देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली के उत्सव की शुरुआत हो गई है जहां पर धनतेरस के बाद आज कई जगहों पर छोटी दिवाली मनाई जा रही है। इस बार दिवाली को लेकर असमंजस की स्थिति है जहां पर दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर की तारीखों पर मनाई जाएगी। दिवाली के शुभ मौके पर पूजन के लिए माता लक्ष्मी और श्रीगणेश जी की मूर्तियां लेकर आते है। यहां पर नई मूर्तियां लेकर आने के बाद पुरानी मूर्तियों का क्या करना चाहिए चलिए जानते हैं इसके बारे में।
यहां पर अगर आप दिवाली के मौके पर पुरानी मूर्तियों को नई मूर्तियों से बदल रहे हैं तो, आप पुरानी मूर्तियों को रखने से जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए।
1-नदी या तालाब में करें विसर्जित
यहां पर दिवाली पर माता लक्ष्मी और श्रीगणेश जी की नई मूर्तियों को पूजन के लिए लाने पर पुरानी मूर्तियों को किसी पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए। यहां पर किसी प्रकार की गंदगी ना हों इसका भी आपको ख्याल रखना चाहिए।
2- सम्मानपूर्वक रखना चाहिए
यहां पर पूजन के लिए नई मूर्तियों को लाने के बाद पुरानी मुर्ति को घर के किसी स्थान पर सम्मान पूर्वक रख देना चाहिए। साथ ही इन्हें धूल से बचाकर साफ रखें तो ज्यादा अच्छा है।
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3- दान करने का नियम
यहां पर अगर आप विसर्जित नहीं कर सकते हैं तो दिवाली के बाद पुरानी मूर्तियों को किसी मंदिर में भी दान कर सकते हैं बस ख्याल रहें यहां पर मूर्ति का अच्छी तरह से ध्यान रखने वाले हो।
4- जमीन में दबा दें
यहां पर दिवाली के बाद पूजा लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को अगर मिट्टी की है तो, किसी गहरे स्थान पर मिट्टी में दबा देना चाहिए या फिर आप टब में लक्ष्मी जी का विसर्जन करके उनकी मिट्टी को गमले में रख सकते है।
यहां पर दिवाली के मौके पर आप मूर्तियों से जुड़े यह नियम भी कर सकते है…
1- मूर्ति को कभी भी कूड़ेदान में या किसी गंदी जगह पर नहीं फेंकना चाहिए. इससे दिवाली के दिन की गई पूजा का फल नष्ट हो जाता है।
2-मूर्ति को पेड़ के नीचे या किसी ऐसे स्थान पर नहीं रखना चाहिए जहां पर आते जाते लोगों के पैर उन पर पड़े।
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यहां पर दिवाली के बाद पुरानी मूर्ति के विसर्जन से जुड़े नियम है यदि नदी में मूर्ति विसर्जन संभव न हो, तो घर पर बाल्टी या किसी टब में मूर्ति विसर्जित कर सकते हैं और बाद में उस पानी को किसी बगीचे में डाल सकते हैं, इससे मूर्ति का विसर्जन भी हो जाता है और पानी भी प्रदूषित नहीं होता। यदि मूर्ति के साथ धातु, फूल, वस्त्र आदि हैं, तो इन्हें विसर्जन से पहले अलग कर दें।