
जानें देव दीपावली पर कितने दीये जलाना होता है शुभ (सौ.सोशल मीडिया)
Dev deepawali 2025: आज देशभर में कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही देव दीपावली मनाई जा रही है। इसकी सबसे ज्यादा रौनक उत्तरप्रदेश की धार्मिक नगरी काशी यानि वाराणसी में है। यहां पर काशी के घाट पर लाखों की संख्या में दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाएगी। आज वाराणसी में खास नजारा देखने के लिए मिलेगा जहां पर दीयों की रोशनी से सारा जहां जगमगाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपक जलाने और देव दीपावली के रूप में मनाने की परंपरा पौराणिक कथा के रूप में मिलती है। अगर आप काशी के इस खास दीपोत्सव का हिस्सा नहीं बन पा रहे है तो घर में ही इसका पुण्य पा सकते है। यहां पर दीयों की संख्या के बारे में जानकारी दे रहे है।
देव दीपावली के दिन भगवान शिव की पूजा का खास महत्व होता है। कथा के अनुसार कहा जाता है कि, भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर को समाप्त करने की वजह से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुर पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है। इस खास देव दीपावली की रौनक काशी और हरिद्वार में देखने के लिए मिलता है। इन दो जगहों पर विशेष आयोजन होते हैं और इस दिन गंगा घाट असंख्य दीपों की रोशनी से जगमगा उठते हैं। देव दीपावली के दिन भगवान शिव और विष्णुजी की पूजा का महत्व होता है।
देव दीपावली को घर में भी आप मना सकते है क्योंकि यह दीपों का त्योहार है कभी बेहतरीन लगता है। घर पर अगर कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का त्योहार मनाना चाहते है तो दिये जला सकते है। कहते हैं कि, घर के मुख्य द्वार, तुलसी के पौधे, पीपल, आंवले और मंदिर में दीप जरूर जलाने चाहिए। दीप जलाने की 5, 7, 9, 11, 13, 51 यानी विषम संख्या में दीप जलाने से घर सकारात्मकमा आती है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, , घर में 51 दीपक जलाना पूर्णता का प्रतीक है। इनमें से 27 नक्षत्रों के लिए 27 दीपक, पंचपाल के नाम से 5 दीपक, 10 दीपपाल के नाम से 10 दीपक, चार दिशाओं के लिए 4 दीपक जलाए जाते है। यह चार दीपक घर के मंदिर, रसोई, आंगन और तुलसी के पौधे के पास जलाए जाते है।
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यहां पर देव दीपावली को लेकर कहा जाता है कि दीये जलाने के साथ ही दान का भी खास महत्व होता है।देव दीपावली के दिन चावल, दूध, घी और सफेद वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है। कहते है कि, तुलसी के पौधे की पूजा और दान से विवाह और संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने और अर्घ्य देने से सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन चंद्र दोष दूर करने के लिए सफेद वस्त्र और चांदी का दान करना शुभ माना जाता है।






