-सीमा कुमारी
सनातन हिन्दू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व है। इस साल फाल्गुन महीने की अमावस्या 02 मार्च दिन बुधवार को है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने की विशेष परंपरा है।
ज्योतिष-शास्त्र के मुताबिक, ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ‘फाल्गुन अमावस्या’ इस बार शिव और सिद्ध योग में पड़ रही है, जिसे काफी शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव शंकर और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है। फाल्गुन अमावस्या के महत्व की बात करें तो ऐसी मान्यता है कि, इस दिन पवित्र नदियों में सभी देवी-देवता साक्षात प्रकट होते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करके दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए। आइए जानें ‘फाल्गुन अमावस्या’ तिथि मुहूर्त आदि के बारे में-
* मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 01 मार्च दिन मंगलवार को देर रात 01:00 बजे से हो रहा है। इस समय ‘महाशिवरात्रि’ का समापन होगा। ‘फाल्गुन अमावस्या’ तिथि 02 मार्च को रात 11 बजकर 04 मिनट तक मान्य है। उदयातिथि के आधार पर ‘फाल्गुन अमावस्या’ 02 मार्च को है।
इस साल की ‘फाल्गुन अमावस्या’ शिव एवं सिद्ध योग में है। फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक है। उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा. यह 03 मार्च को प्रात: 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा ।
‘फाल्गुन अमावस्या’ के दिन आप पितरों की आत्म-तृप्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं, वह दिन में 11:30 बजे से दोपहर 02:30 बजे तक कर लेना चाहिए। अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने, श्राद्ध कर्म करने या पिंडदान करने से वे प्रसन्न होते हैं।
पितर प्रसन्न होकर संतान के खुशहाल जीवन का आशीष देते हैं। उनकी कृपा से जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है। संतान सुख प्राप्त होता है। यदि पितृ दोष होता है, तो उनका निवारण अमावस्या के दिन कर लेना चाहिए ।