
विश्व थैलेसीमिया रोग दिवस 2024 (Social Media)
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: आज दुनियाभर में थैलेसीमिया (Thalassemia) बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व थैलेसीमिया दिवस 2024 (World Thalassemia Day 2024) मनाया जा रहा है। इस रोग के लक्षण इंसान में जन्म के साथ ही जुड़ जाते है जिसे लेकर हर समय सवाल उठता है कि, यह वंशानुगत यानि जैनेटिक तो नहीं। आइए जानते है इसे विस्तार से
जानिए क्या है थैलेसीमिया बीमारी
यहां पर थैलेसीमिया नामक बीमारी की बात की जाए तो, यह एक तरह से ऐसा रक्त विकार है जिसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का सही तरह से उत्पादन नहीं होता और इन कोशिकाओं की उम्र भी कम ही रहती है। आमतौर पर जन्म से ही बच्चे को यह रोग जकड़ लेता है जिसमें यह दो प्रकार में माइनस और मेजर में दिखाई देता है, यहां पर माइनर की स्थिति में लोग स्वस्थ जीवन जी लेते है। इस बीमारी में रक्त कोशिकाओं के कम होने पर बच्चों को हर 21 दिन बाद कम से कम एक यूनिट खून की जरूरत होती है। जो इन्हें चढ़ाया जाता है। लेकिन फिर भी ये बच्चे बहुत लंबी आयु नहीं जी पाते हैं। अगर कुछ लोग सर्वाइव कर भी जाते हैं तो अक्सर किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं और जीवन का आनंद नहीं ले पाते हैं।
क्या यह होता है वंशानुगत
थैलेसीमिया रोग वंशानुगत है या नहीं इस बात को स्पष्ट करते चलें तो, यह रोग वंशानुगत होता है जिसमें अगर माता-पिता किसी एक में इस रोग के लक्षण नजर आते है तो इसके होने वाले बच्चे में जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर की सलाह होती है कि, बच्चा प्लान करने से पहले या शादी से पहले ही लक्षण नजर आने पर जरूरी मेडिकल जांच करवाएं।
– अगर माता-पिता दोनों में से किसी एक को यह रोग है और माइल्ड है तो आमतौर पर बच्चों में यह रोग ट्रांसफर होने के कम ही चांसेज होते है। अगर इस बीमारी के लक्षण नजर भी आते है तो बच्चा अपना जीवन लगभग सामान्य तरीके से जी पाता है। कई बार तो उसे जीवनभर पता ही नहीं चलता कि उसके शरीर में कोई दिक्कत भी है।
– अगर माता-पिता दोनों को ही यह रोग है लेकिन दोनों में माइल्ड (कम घातक) है तो बच्चे को थैलेसीमिया होने की आशंका बहुत अधिक होती है। साथ ही बच्चे में यह रोग गंभीर स्थिति में हो सकता है, जबकि माता पिता में रोग की गंभीर स्थिति नहीं होती है।






