भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त की कथा
सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में हर पर्व व त्योहार को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। पांच दिवसीय दिवाली (Diwali 2023) के पर्व में आखिरी यानी पांचवें दिन भाई दूज (Bhai Dooj 2023) का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार आज यानी 14 नवंबर 2023 को मनाया जा रहा है। यह पर्व मुख्यतः भाई-बहन के प्रेम का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। साथ ही, इसी दिन ‘भगवान चित्रगुप्त’ (Chitragupta Puja) की भी पूजा आराधना करने का विधान है। मान्यता है कि संसार में मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले यमराज के सहयोगी ही भगवान चित्रगुप्त (Lord Chitragupta) है। आइए जानें कब है चित्रगुप्त की पूजा, क्या है शुभ मुहूर्त-
पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त की पूजा आराधना करने का विधान है। इस वर्ष चित्रगुप्त की पूजा आज यानी 14 नवंबर दिन मंगलवार को पड़ रही है। इसी दिन भाई दूज यम द्वितीया भी मनाई जाएगी । 14 नवंबर को दोपहर 2:36 से द्वितीया की शुरुआत हो रही है, जो कि 15 नवंबर दोपहर 1:45 पर समाप्त होगी।
दूसरी तरफ सुबह का मुहूर्त 10:48 से दोपहर 12:13 तक है, तो इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:36 तक है। इतना ही नहीं, अमृत काल मुहूर्त शाम 5:00 बजे से 6:36 तक है। इसके अलावा, राहुकाल का समय दोपहर 3:03 से शाम 4:28 तक है।
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान पर एक चौकी बिछाकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद इस चौकी पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर स्थापित करें।
अब तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान चित्रगुप्त को मिठाई और फूल अर्पित करें। साथ ही भगवान चित्रगुप्त को पूजा के दौरान कलम भी अर्पित करें। इसके बाद एक कागज पर हल्दी लगाकर श्री गणेशाय नमः लिखें। अंत में चित्रगुप्त जी की आरती करें और सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित करें।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, यह पूजा कायस्थ समुदाय के लोग करते हैं। चित्रगुप्त को इस समुदाय का पूर्वज माना जाता है।। इसलिए वो इनकी (लक्ष्मी गणेश जी की ऐसे करें पूजा) पूजा करते हैं। इस दिन सबसे पहले चित्रगुप्त जी की आरती होती है। इसके बाद कलम दवात की पूजा की जाती है। इससे शिक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही नई चीजों को करने की प्रेरणा मिलती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन यम से बहन यमुना को एक वरदान मिला था। इस वरदान में ये कहा गया था कि जो भाई अपनी बहन के यहां जाकर इस दिन माथे पर तिलक लगाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन खाएगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इसके लिए भी भगवान चित्रगुप्त जी की भी पूजा की जाती है।