ध्रुव जुरेल (फोटो-सोशल मीडिया)
Ayurveda Rules For Eating:आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास भी इतना समय नहीं कि वे बैठकर फ्रेश खाना बनाकर खा सके। हम में से कई सारे लोग खाना बनने के कई घंटों बाद भोजन करते हैं। वह खाना बासी हो जाता है और शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आयुर्वेद बासी खाने को खराब मानता है। ऐसे में आइए जानते है आयुर्वेद बासी खाने को क्यों खराब मानता है?
आयुर्वेद के अनुसार, ताजा बना हुआ भोजन सात्विक होता है। यह भोजन पकने के कुछ घंटों के भीतर खा लेना चाहिए, क्योंकि तब तक इसमें ‘प्राणशक्ति,’ यानी जीवन ऊर्जा, बनी रहती है।
पकने के 8 घंटे बाद वही भोजन राजसिक हो जाता है, और इसके बाद ‘तामसिक’ हो जाता है, यानी ऐसा खाना जो शरीर में सुस्ती, भारीपन और मानसिक थकावट लाता है।
इस बात की पुष्टि विज्ञान भी करता है।
अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, जो लोग ताजे, घर पर बने खाने का ज्यादा सेवन करते हैं, उनकी सेहत बेहतर रहती है। वे कम बीमार पड़ते हैं और मोटापा, डिप्रेशन और डायबिटीज जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं।
दूसरी ओर, जो लोग बार-बार गरम किया गया या लंबे समय तक रखा हुआ बासी खाना खाते हैं, उनका पाचन कमजोर होता है, शरीर में टॉक्सिन्स बनते हैं और मन चिड़चिड़ा हो जाता है।
खासतौर पर बच्चों और युवाओं पर इसका गहरा असर पड़ता है। जो बच्चे जंक फूड और ठंडा खाना ज्यादा खाते हैं, उनकी एकाग्रता कम होती है, वे जल्दी थक जाते हैं और गुस्से या उदासी का शिकार हो सकते है।
ताजा और सात्विक भोजन न सिर्फ उनका मेटाबॉलिज्म ठीक रखता है, बल्कि मानसिक स्थिरता और व्यवहार में भी सुधार लाता है।
यही वजह है कि आयुर्वेद और विज्ञान दोनों इस बात पर जोर देते हैं कि खाना समय पर और शांत मन से खाना चाहिए, ताकि वह सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी पोषण दे सके। ऐसे में आप चाहते हैं लंबी उम्र तक स्वस्थ रहना तो घर का बना फ्रेश खाना ही खाएं, ताकि उसे बार-बार गर्म न करना पड़ा।