दिवाली पर रंगोली बनाने की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)
Diwai 2024: देश के सबसे बड़े त्योहार दिवाली आने में जहां पर कुछ दिन शेष हैं जिसके लिए घरों में सफाई से लेकर दिवाली के सेलिब्रेशन की तैयारियां हो चुकी है। दिवाली के मौके पर घर और आंगन में दियें जलाए जाते हैं तों पर इस दौरान घरौंदा और रंगोली बनाने की भी परंपरा होती है। दिवाली के मौके पर चलिए जानते हैं इस परंपरा की कब से शुरुआत हुई है। बता दें कि, दिवाली का त्योहार मनाने का संबंध भगवान श्रीराम की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है।
यहां पर दिवाली पर घरौंदा बनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमें पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम जब चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। यहां पर घरौंदा बनाकर सजाने का चलन काफी है इसमें कार्तिक माह का आरंभ होते ही लोग अपने अपने घरों में साफ सफाई का काम शुरू कर देते हैं।
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इस दौरान घरों में घरौंदा बनाया जाता है इसका अर्थ होता है ‘घर’ शब्द से बना हुआ। माह के आरंभ से ही सामान्य तौर पर दीपावली के आगमन पर अविवाहित लड़कियां घरौंदा का निर्माण करती है। अविवाहित लड़कियों द्वारा इसके निर्माण के पीछे मान्यता है कि इसके निर्माण से उनका घर भरा पूरा बना रहेगा। हालांकि कई जगहों पर घरौंदा बनाने का प्रचलन दीपावली के दिन होता है।
यहां पर रंगोली बनाने की परंपरा बेहद खास है कहा जाता हैं कि, इसका संबंध भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने से है। भगवान राम के लंका विजय के बाद, जब वे माता सीता के साथ 14 वर्षों का वनवास काट कर अयोध्या लौटे तब अयोध्या वासियों ने भगवान राम के स्वागत में पूरे अयोध्या में साफ-सफाई करके हर घर के आंगन में और अयोध्या के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई थी। जहां पर दिवाली के दिन दीप जलाकर और रंगोली बनाकर सजाया जाता है।
घरौंदा-रंगोली बनाने की परंपरा (सौ.सोशल मीडिया)
इसके अलावा भारत में रंगोली बनने के प्रथम साक्ष्य मोहन जोदड़ो और हड़प्पा सभ्यताओं में मिले है, पुरातत्व विभाग के अनुसार इन दोनों सभ्यताओं में अल्पना के चिन्ह मिले है. जो रंगोली से काफी मिलते जुलते जान पड़ते हैं। मान्यता के अनुसार अल्पना, वात्स्यायन के काम सूत्र में वर्णित चौसठ कलाओं में से एक है। महालक्ष्मी के आगमन पर रंगोली बनाने की परंपरा होती है जो हमेशा से चली आ रही है।