
कोरोना (सौजन्य : सोशल मीडिया)
लॉफबोरो: कोविड और लॉकडाउन का असर पूरी दूनिया पर हुआ, लेकिन इसका सबसे अधिक असर किशोरों के दिमाग पर हुआ है। हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है। जिसमें बताया गया है कि लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा असर किशोरों के मस्तिष्क की संरचना पर किया है।
लॉकडाउन की सख्ती, पाबंदी और अकेलेपन ने सभी को काफी परेशान किया। लेकिन, सबसे ज्यादा किशोरों के मानसिक स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। जिसके परिणामवश आशंका है कि लॉकडाउन ने किशोरों में मस्तिष्क की उम्र बढ़ने को तेज कर दिया है। इससे जीवन भर मस्तिष्क की उम्र बढ़ने की दर प्रभावित हो सकती है।
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सिएटल में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एमआरआई डेटा का अध्ययन किया। जिसमें पाया गया कि किशोरों के मस्तिष्क के कॉर्टेक्स यानी मुड़ी हुई सतह में पतलापन आने में लॉकडाउन जिम्मेदार रहा है, जबकि यह उम्र बढ़ने पर होता है। चिंता की बात है कि इसका प्रभाव लड़कियो के मस्तिष्क में अधिक देखा गया है।
अध्ययन में दावा किया गया है कि मस्तिष्क को परिपक्वता तक पहुंचने में सक्षम बनाने में कई परिवर्तन होते है। इनमें एक कॉर्टेक्स का पतला होना शामिल है। जिससे मस्तिष्क की उम्र बढ़ती है।
साल 2022 में एक शोधपत्र द्वारा दावा किया था कि किशोरावस्था में ललाट क्षेत्र में मस्तिष्क की नरमता का एक महत्वपूर्ण दौर होता है। मस्तिष्क का यह क्षेत्र सोचने, निर्णय लेने, अल्पकालिक स्मृति और सामाजिक व्यवहार के नियंत्रण के लिए काम करता है। इसलिए इसका स्वस्थ रहना बेहद जरुरी है।
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