नए उपराष्ट्रपति का निर्वाचन ( सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है।उपराष्ट्रपति के त्यागपत्र, पद से हटाने या निधन के बाद संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार शीघ्रताशीघ्र चुनाव कराने का प्रावधान है।राष्ट्रपति पद रिक्त हो तो 6 माह के भीतर चुनाव का प्रावधान है लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए ऐसी निश्चित समयावधि नहीं है।वहां जल्दी से जल्दी चुनाव कराने की बात कही गई है।धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था लेकिन जो नए उपराष्ट्रपति निर्वाचित होंगे उनका 5 वर्ष का कार्यकाल 2030 तक रहेगा। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदाता होते हैं।राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्यों को भी मताधिकार रहता है।
राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्येक सांसद का उसके राज्य के अनुसार मत मूल्य रहता है जबकि हर सांसद का मत मूल्य एक समान रहता है।उपराष्ट्रपति निर्वाचन में जितने उम्मीदवार खड़े होते है, उन्हें अपनी पसंद के हिसाब से सांसद वोट देते हैं जैसे कि पहली, दूसरी या तीसरी पसंद का वोट! इसके लिए गुप्त मतदान होता है।इस पसंद या प्रिफरेंस आधारित मतदान प्रणाली में कुल वैध मतों के आधार पर पहली फेरी (राउंड) में आने के लिए वोटों का कोटा निश्चित किया जाता है पहले राउंड में उतने वोट लेनेवाला उम्मीदवार निर्वाचित घोषित किया जाता है।यदि पहले राउंड में उतने वोट नहीं मिल पाए तो दूसरे व तीसरे राउंड की पसंद के वोट गिने जाते हैं।सारे वोटों की गिनती के बाद भी कोटा पूरा नहीं होने पर सर्वाधिक वोट पानेवाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है।
लोकसभा के 543 व राज्यसभा के 250 सदस्य इस चुनाव मतदाता होंगे।इस समय लोकसभा में एक जगह खाली होने से 542 सदस्य हैं तथा राज्यसभा में 10 सीटें खाली होने से 240 सदस्य हैं।इस तरह कुल मतदाता 782 होते हैं।पहले राउंड में निर्वाचित होने के लिए 392 मतों की आवश्यकता है।बीजेपी खुद के बल पर यह चुनाव जीत नहीं सकती।उसे एनडीए की पार्टियों का सहयोग लेना होगा जिनमें तेलगु देशम, जदयू, शिवसेना (शिंदे), अन्ना द्रमुक, असम गण परिषद, एनसीपी (अजीत पवार) का समावेश है।इस तरह एनडीए का संख्या बल 425 हो जाता है।
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उपराष्ट्रपति पद का चुनाव 1952 से लेकर अब तक 16 बार हो चुका है।धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह 17वां चुनाव होगा।अब तक 3 उपराष्ट्रपतियों ने पद पर रहते हुए इस्तीफा दिया।1969 में वराहगिरी वेंकटगिरी ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था।1987 में आर वेंकटरामन ने भी इसी उद्देश्य से इस्तीफा दिया था।21 जुलाई 2007 को भैरोसिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था।अब तक उपराष्ट्रपति के 16 में से 4 चुनाव निर्विरोध संपन्न हुए थे।1952 व 1957 में डा।सर्वपल्ली राधाकृष्णन, 1979 में मोहम्मद हिदायतुल्ला तथा 1987 में डा।शंकरदयाल शर्मा निर्विरोध निर्वाचित उपराष्ट्रपति हुए थे।उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष तथा मतदाता सूची में नाम रहना चाहिए।उपराष्ट्रपति का दर्जा प्रोटोकाल में राष्ट्रपति से नीचे और प्रधानमंत्री से ऊपर रहता है।वह राज्यसभा का सभापति रहता है।राष्ट्रपति के निधन, बीमारी या पद से हटाए जाने पर उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालनी पड़ती है।तब उन्हें राष्ट्रपति के पूरे अधिकार हासिल होते हैं।
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा