एकनाथ शिंदे आदित्य ठाकरे आमने सामने (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: दिवाली के बाद संभावित महानगर पालिका एवं अन्य निकायों के चुनावों के मद्देनजर राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां अपना जनसंपर्क बढ़ाने में जुटी हैं। इस प्रयास में सियासी दल विरोधियों पर जमकर हमला कर रहे हैं। इसी सियासी माहौल के प्रभाव के कारण वर्ली कोलीवाड़ा में आयोजित किए गए नारियल पूर्णिमा उत्सव में धार्मिक माहौल सियासी मतभेदों के कारण बिगड़ गया।
वर्ली कोलीवाडा के नारियल पूर्णिमा उत्सव स्थल पर महाराष्ट्र की राजनीति में एक दूसरे के कट्टर विरोधी माने जानेवाले दो नेता उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और वर्ली विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) पार्टी के विधायक आदित्य ठाकरे के एक ही समय पर पहुंचने से माहौल तनावपूर्ण हो गया। एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी कर रहे दोनों नेताओं के समर्थकों की वजह से आयोजकों के जहां हाथ पांव फूलने लगे तो वहीं तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए।
नारियल पूर्णिमा कोली (मछुआरा) समाज का एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। मछलियों का प्रजनन काल समाप्त होने के कारण कोली समाज के लोग नारियल पूर्णिमा के दिन समुद्र को नारियल अर्पित करके पूजा-अर्चना करते हैं। इसके उपरांत मछली मारने का अपना कारोबार शुरू करते हैं। इस त्योहार के अवसर पर मुंबई के वर्ली स्थित कोलीवाड़ा में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
यह भी पढ़ें- निशानेबाज: बार-बार लगाते दिल्ली का चक्कर, शिंदे को ऐसी कौन सी फिकर
हमेशा की तरह इस बार भी वर्ली कोलीवाड़ा में नारियल पूर्णिमा उत्सव का भव्य आयोजन शुक्रवार को किया गया था। कोली समाज के लोगों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं सियासी पार्टी के नेतागण भी कोली बंधुओं को शुभकामना देने कोलीवाड़ा पहुंचे थे। लेकिन आदित्य और डीसीएम शिंदे के एक साथ उत्सव में पहुंचने से उत्सव का माहौल तनावपूर्ण स्थिति में तब्दील हो गया।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार गिर गई थी और शिवसेना दो टुकड़ों में बंट गई थी। इतना ही नहीं बाद में शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष-बाण भी शिंदे गुट ने छीन लिया था। तीन साल पहले महाराष्ट्र में घटित हुए उक्त सियासी घटनाक्रमों के कारण शिंदे और उद्धव गुट एक दूसरे के कट्टर विरोधी बन गए हैं। खासकर आदित्य अक्सर ‘गद्दार’ कहकर डीसीएम शिंदे और उनकी पार्टी के नेताओं को अपमानित करने का प्रयास करते हैं। तो वहीं शिंदे गुट भी उद्धव, आदित्य सहित यूबीटी नेताओं पर निशाना साधने का कोई कोई मौका चूकता नहीं है।
वर्ली विधानसभा क्षेत्र को शिवसेना का गढ़ माना जाता है। यहां ठाकरे परिवार का प्रभाव हमेशा से ही देखने को मिला है। शिवसेना में विभाजन के बाद वर्ली विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता भले ही दो गुटों के बीच बंट गए हैं। लेकिन वोटर अभी भी ठाकरे परिवार के साथ ही है। ऐसा लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान देखने को मिला था। लेकिन चुनाव में अपने उम्मीदवारों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भी डीसीएम शिंदे वर्ली विधानसभा क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने का प्रयास लगातार कर रहे हैं।
दही हंडी हो या फिर नारियल पूर्णिमा व अन्य उत्सव के माध्यम से शिंदे क्षेत्र की जनता में अपनी पार्टी का जनसंपर्क बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। इसी रणनीति के तहत डीसीएम शिंदे शुक्रवार को अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बाद भी आयोजकों के निमंत्रण पर आदित्य के विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आनेवाले वर्ली कोलीवाडा में नारियल पूर्णिमा उत्सव में भाग लेने पहुंचे थे।
बताया जा रहा है कि दोनों नेता एक ही समय पर उत्सव में पहुंचे थे। जिसके बाद दोनों के समर्थक पहले अपने नेता के समर्थन में और बाद में एक दूसरे के विरोध में जोरदार ढंग से नारेबाजी करने लगे। दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं के आमने सामने आने की खबर के बाद आसपास क्षेत्र के कार्यकर्ता भी वर्ली कोलीवाडा पहुंचने लगे। लेकिन पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं के बीच के टकराव को और बढ़ने से रोक दिया।