एकनाथ शिंदे की शिकायत बेअसर (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, राजनीति में नेताओं के अपने-अपने गॉडफादर या धर्मपिता हुआ करते हैं। किसी मुसीबत से बचने या संरक्षण हासिल करने के लिए नेता दिल्ली की दौड़ लगाकर अपने गॉडफादर से मिलते हैं। अब देखिए न, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे विधानमंडल का सत्र जारी रहते दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले।’ हमने कहा, ‘राज्य के नेता केंद्र के नेताओं से मिलते हैं तो इससे आपसी विश्वास और अपनापन बढ़ता है।
इसी अपनत्व की वजह से शिंदे ने पिछले दिनों एक समारोह में अमित शाह का ससुराल महाराष्ट्र के कोल्हापुर में होने का जिक्र किया था और जय महाराष्ट्र के साथ जय गुजरात का नारा भी लगाया था। इस तरह की आत्मीयता में आप गॉडफादर वाला नैरेटिव क्यों ला रहे हैं। सौजन्य भेंट भी कोई चीज होती है!’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, खबरों के अंदर जाकर देखना चाहिए। शिंदे को भी मुश्किल की घड़ी में अमित शाह का सहारा है। कुछ दिनों पूर्व आयकर विभाग ने सामाजिक न्यायमंत्री व शिंदे सेना के मुख्य प्रवक्ता संजय शिरसाट को नोटिस दिया। एकनाथ शिंदे के पुत्र श्रीकांत शिंदे को भी आयकर विभाग का नोटिस मिलने की चर्चा है। कहा जाता है कि ऐसे में शिंदे ने अमित शाह से गुहार की कि जरा मुख्यमंत्री फडणवीस को संभालिए। शिंदे गुट का विरोध रहने के बाद भी फडणवीस ने वित्त मंत्रालय अजीत पवार को दिया था। रायगड़ जिले का पालकमंत्री पद अपनी पार्टी के लिए हासिल करने का शिंदे ने पूरा प्रयास किया लेकिन फडणवीस ने उनकी दाल नहीं गलने दी। शिंदे ने आरोप लगाया कि अजीत पवार ने हमारे विभाग की निधि डाइवर्ट कर दी। हमारे विभागों को पर्याप्त निधि नहीं दी जा रही है।
इस बात पर सीएम ने ध्यान नहीं दिया। राज और उद्धव के तालमेल के पीछे भी फडणवीस की कूटनीति बताई जाती है।’ हमने कहा, ‘शिंदे फिर से मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया। जब बीजेपी ने 132 सीटें हासिल कीं तो सीएम भी उसी का रहना चाहिए था। देवेंद्र फडणवीस के साथ बीजेपी और संघ दोनों की ताकत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी फडणवीस के साथ खड़े हैं इसलिए शिंदे मजबूर हैं। वह जब रूठते हैं तो अपने गांव चले जाते हैं या फिर शाह के दरबार में जाकर अपना दुखड़ा सुनाते हैं।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा