8 भाइयों की इकलौती बहन थीं शारदा सिन्हा
Sharda Sinha Birth Anniversary Special Story: दुनिया में कोकिला के नाम से मशहूर बिहार की सुप्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा का आज यानी 1 अक्टूबर को जन्मदिन है। छठ महापर्व के दिन 5 अक्टूबर 2024 को संगीत जगत ने अपनी एक अनमोल धरोहर खो दी। लोकगायन की दुनिया में ‘छठ कोकिला’ के नाम से मशहूर शारदा सिन्हा का निधन दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। उनकी मीठी आवाज और छठ पर्व के गीत आज भी हर दिल में बसे हुए हैं। शारदा सिन्हा का नाम लोकसंगीत की उस धारा में हमेशा अमर रहेगा, जिसने छठ को वैश्विक पहचान दिलाई। आज भले ही शारदा सिन्हा हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज, उनके गीत और उनकी सादगी संगीत जगत में हमेशा जीवित रहेंगे।
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन संगीत के प्रति समर्पण ने उन्हें पहचान दिलाई। दिलचस्प बात यह है कि उनके परिवार में करीब 35 साल बाद किसी बेटी का जन्म हुआ था। आठ भाइयों की इकलौती बहन होने के कारण उन्हें अपार स्नेह और दुलार मिला। उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और संगीत शिक्षा दिलवाई। पढ़ाई के दौरान भी उनका रुझान संगीत की ओर ही रहा और बाद में उन्होंने समस्तीपुर कॉलेज में संगीत प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
शारदा सिन्हा की एक आदत जो हमेशा चर्चा में रही, वह थी पान खाने की। आमतौर पर सिंगर्स गले को सुरक्षित रखने के लिए पान और आदी चीज़ों से बचते हैं, लेकिन शारदा मंच पर जाने से पहले पान जरूर खाती थीं। उनके करीबी हृदय नारायण ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शारदा सिन्हा साधारण जीवन जीने वाली, मृदुभाषी और बेहद सरल स्वभाव की थीं। खाने-पीने की शौकीन न होते हुए भी पान से उनका खास लगाव था।
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दरअसल, मिथिलांचल की परंपरा में पान मां भगवती को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। यही वजह थी कि शारदा सिन्हा का पान से भावनात्मक जुड़ाव था। कहा जाता है कि वे गले को ठंडा रखने और सुरों की मिठास बनाए रखने के लिए मंच पर जाने से पहले पान खाती थीं। वे जहां भी जातीं, अपने साथ पान की डिब्बी जरूर लेकर जाती थीं। शारदा सिन्हा के गाए छठ गीत हो ई सुगवा धनवा पूरब उड़ल जाए, कांची ही बांस के बहंगिया जैसे गीत आज भी छठ पर्व की पहचान हैं। उनकी मधुर आवाज और भावनात्मक जुड़ाव ने उन्हें घर-घर का प्रिय बना दिया।