एनोस एक्का और उनकी पत्नी, फोटो- सोशल मीडिया
Enos Ekka land Scam Case: एनोस एक्का और उनकी पत्नी मेनन एक्का को सजा हो गई है। यह मामला करीब 15 साल पुराना है, जिसमें सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर फर्जी पते के आधार पर जमीन की खरीद की गई थी। कोर्ट ने दोनों पर क्रमशः 2.10 लाख और 2.60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यदि वे जुर्माने की राशि नहीं भरते हैं तो उन्हें अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
मामले की जांच में यह सामने आया कि मंत्री रहते हुए एनोस एक्का ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आदिवासी भूमि खरीदी। उन्होंने 2006 से 2008 के बीच रांची जिले में अपनी पत्नी के नाम पर हिनू, ओरमांझी, नेवरी और चुटिया क्षेत्र में बड़ी मात्रा में जमीन खरीदी। कुल मिलाकर 1.18 करोड़ रुपये की जमीन फर्जी पते के आधार पर ली गई, जो कि सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के खिलाफ है।
सीबीआई कोर्ट ने सिर्फ एनोस और उनकी पत्नी को ही नहीं, बल्कि इस पूरी प्रक्रिया में शामिल अन्य सरकारी अधिकारियों को भी दोषी ठहराया है। रांची के तत्कालीन एलआरडीसी कार्तिक कुमार प्रभात, राजस्व कर्मचारी मणिलाल महतो और ब्रजेश्वर महतो को पांच-पांच साल की सजा और 2.10 लाख रुपये जुर्माना दिया गया है। इसके अलावा राज किशोर सिंह, फिरोज अख्तर, अनिल कुमार राज और ब्रजेश मिश्रा को चार-चार साल की कैद और 2.10 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। एकमात्र आरोपी गोवर्धन बैठा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है।
यह मामला वर्ष 2010 में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया था। चार अगस्त 2010 को सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की और फिर दिसंबर 2012 में चार्जशीट दाखिल की। 22 अगस्त 2025 को बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 29 अगस्त को फैसला सुनाया, जिसमें सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया। 30 अगस्त को सजा का ऐलान हुआ।
यह भी पढ़ें: प्लेन के इंजन में टेकऑफ करते ही लगी आग, दिल्ली एयरपोर्ट पर Air India की इमरजेंसी लैंडिंग
यह प्रकरण झारखंड में राजनीतिक प्रभाव का उपयोग कर किए गए भूमि घोटाले का गंभीर उदाहरण है। सीएनटी एक्ट आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, लेकिन इस मामले में कानून को ताक पर रखकर सरकारी पद और अधिकार का दुरुपयोग किया गया। कोर्ट के इस फैसले को आदिवासी अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।