शिवभोजन थाली केंद्र (सौजन्य-नवभारत)
Shiv Bhojan Thali Yojana: चंद्रपुर में महाविकास आघाड़ी द्वारा गरीब लोगों और श्रमिकों के लिए शुरू की गई शिव भोजन थाली को मार्च 2025 से सब्सिडी नहीं दी गई है। बढ़ती आर्थिक तंगी के कारण चंद्रपुर जिले के केंद्र संचालकों ने ‘शिव भोजन थाली केंद्र’ बंद करने की चेतावनी दी है। कुछ ने थाली केंद्र पर 1 सितंबर से इस सेवा को बंद करने की घोषणा की है, ऐसे में भविष्य में लाभार्थियों को सुविधा कैसे मिलेगी। यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
यह योजना कुछ साल पहले हिंदू हृदय सम्राट स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे की स्मृति में महाविकास आघाडी द्वारा राज्य में लागू की गई थी। यह योजना कम समय में ही लोकप्रिय हो गई। इससे कुछ लोगों को रोजगार भी मिला। अब सब्सिडी के अभाव में यह योजना बंद होने के कगार पर है। शिव भोजन थाली की मूल कीमत 50 रुपये होने के बावजूद, लाभार्थियों से केवल 10 रुपये ही लिए जाते हैं।
शेष 40 रुपये सरकार से सब्सिडी के रूप में मिलते हैं। हालांकि, सब्सिडी बंद होने से केंद्र संचालक आर्थिक संकट में पड़ गए हैं। जिले में कुल 60 केंद्र संचालित हैं और प्रतिदिन लगभग 6 से 7 हज़ार थाली भोजन वितरित की जाती हैं। महानगरों में 30 और ग्रामीण क्षेत्रों में 30 केंद्रों का लाभ गरीब लोग उठा रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में गैस, दाल, तेल, सब्ज़ियों और बिजली की कीमतों में वृद्धि के कारण केंद्र चलाना और भी मुश्किल हो गया है। संचालक दुविधा में हैं क्योंकि खुदरा व्यापारी भी अब उधार पर सामान देने से इनकार कर रहे हैं। कर्मचारियों को वेतन देना, किराया और अन्य आवश्यक खर्चे उठाना मुश्किल हो गया है।
योजना को शुरू हुए पांच साल हो गए हैं। महंगाई के कारण खर्चे तेज़ी से बढ़े हैं। लेकिन सरकार से मिलने वाली सब्सिडी की राशि जस की तस बनी हुई है, जिससे घाटा बढ़ गया है। ऐसे में, 6 महीने तक सब्सिडी बंद रखने के बाद सरकार क्या कर सकती है? यह सवाल उठ खड़ा हुआ है।
लाडली बहन योजना के लिए धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन, सरकार शिव भोजन थाली योजना की अनदेखी कर रही है।राज्य के लाखों नागरिक जरूरतमंदों को सहारा देने वाली शिव भोजन थाली योजना का लाभ उठा चुके हैं। यह योजना केवल दिन तक ही सीमित है और रात में इस योजना का लाभ नहीं मिलता।
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ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या गरीबों को रात में भूखा सोना चाहिए। अब, जब सरकार ने केंद्र संचालकों की सब्सिडी खत्म कर दी है, तो जिले के कुछ केंद्र बंद हो गए हैं। इसलिए, केंद्र संचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार इस योजना को बंद करने की कोशिश कर रही है।