भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, फोटो- सोशल मीडिया
Lalit Narayan Mishra Murder: कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर एक पुराने और विवादित मामले को ताजा कर दिया है। उन्होंने पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की मौत को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं और इसे ‘घोर कलयुग’ बताया है। दुबे ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक विस्तृत पोस्ट के जरिए की है।
निशिकांत दुबे ने सीधे तौर पर सवाल उठाया, “क्या कांग्रेस पार्टी ने अपनी कमीशनखोरी को छुपाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या करवाई?” उन्होंने आरोप लगाया कि 1972-73 के दौरान विदेश व्यापार मंत्रालय में रहते हुए मिश्रा भ्रष्टाचार में शामिल थे, जिसकी जांच शुरू होते ही उनका मंत्रालय बदल दिया गया।
दुबे ने अपने पोस्ट में पूरे घटनाक्रम को छह प्रमुख बिंदुओं में रखते हुए बताया:
क्या कांग्रेस पार्टी ने अपना कमीशन खोरी छुपाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या करवाई?
1. भारत सरकार ने 1972-73 में एक फ़र्ज़ी आयात निर्यात लाइसेंस जारी किया
2. ललित नारायण मिश्र विदेश व्यापार मंत्री थे, पैसे का लेन-देन शुरू हुआ ।उस वक़्त 1 लाख 20 हज़ार… pic.twitter.com/QO8kvFIG46 — Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) September 29, 2025
दुबे ने यह भी दावा किया कि दिसंबर 1974 में तत्कालीन विपक्ष के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में ललित नारायण मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत पेश किए थे। इसके बाद ही 3 जनवरी 1975 को मिथिलांचल में एक बम विस्फोट में उनकी मौत हो गई।
यह पहली बार नहीं है जब निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर इस तरह के संगीन आरोप लगाए हैं। इससे पहले भी वे सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार पर “कॉरपोरेट दलाली” और “गरीबों की लूट” जैसे आरोप लगा चुके हैं। उनका दावा था कि 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस सरकार ने बड़े उद्योगपतियों को 8 लाख करोड़ रुपये की टैक्स छूट दी, जिससे गरीब और गरीब होते गए, जबकि अमीर और अमीर।
इस बयान ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। ललित नारायण मिश्रा की मौत पहले से ही विवादों में रही है, और अब इसे राजनीतिक हमला बनाकर फिर से उठाया गया है। हालांकि कांग्रेस की ओर से इस बयान पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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निशिकांत दुबे के ताजा आरोपों ने एक बार फिर अतीत के उस पन्ने को खोला है, जिसे भारतीय राजनीति अक्सर अनदेखा करती रही है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या यह मामला किसी नए राजनीतिक विवाद को जन्म देगा।