सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली/बेंगलूरु: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कर्नाटक के कांग्रेस विधायक विनय कुलकर्णी की जमानत रद्द करते हुए उन्हें एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने का आदेश दिया है। यह मामला 2016 में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या से जुड़ा है, जिसमें अब आरोप है कि विधायक ने मुकदमे के दौरान गवाहों से संपर्क करने और उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की थी। कोर्ट ने रिकॉर्ड में मौजूद तथ्यों को देखते हुए कहा कि अब जमानत बरकरार रखना उचित नहीं है। यह फैसला सीबीआई की उस याचिका पर आया है, जिसमें जमानत रद्द करने की मांग की गई थी।
इस केस की शुरुआत 2016 में धारवाड़ में भाजपा नेता की हत्या के साथ हुई थी। जांच शुरू में स्थानीय स्तर पर हुई, लेकिन बाद में इसे सीबीआई को सौंपा गया। जांच एजेंसी ने मामले में राजनीतिक साजिश का संदेह जताते हुए आरोपी को गिरफ्तार किया। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शर्तों पर जमानत दी थी, जिसमें गवाहों से दूरी और संबंधित जिले में प्रवेश पर रोक शामिल थी। लेकिन हालिया घटनाओं ने कोर्ट को दोबारा निर्णय लेने पर मजबूर किया।
गवाहों को प्रभावित करने के आरोप गंभीर
सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि आरोपी ने अपनी पत्नी, ड्राइवर और गनमैन के मोबाइल का इस्तेमाल कर गवाहों से संपर्क साधा। इस दावे के समर्थन में एक तस्वीर का भी हवाला दिया गया जिसमें वह प्रमुख व्यक्तियों के साथ नजर आ रहे थे। कोर्ट ने माना कि रिकॉर्ड में ऐसे तथ्य हैं जो गवाहों को प्रभावित करने के प्रयासों की पुष्टि करते हैं। ऐसे में न्यायालय ने पहले दी गई राहत को अनुचित करार देते हुए जमानत रद्द कर दी।
राजनीतिक करियर और कानूनी लड़ाई
मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष ने दलील दी कि कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है और उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है। लेकिन कोर्ट ने इसे नकारते हुए निचली अदालत को भी यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुकदमा निष्पक्ष तरीके से और बिना किसी दबाव के चले। वहीं सीबीआई ने कहा कि गवाहों के संपर्क में आकर आरोपी ने न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की, जो गंभीर चिंता का विषय है।