लोकसभा में अमित शाह (सोर्स- सोशल मीडिया)
Three Bills in Lok Sabha: केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए। इसको लेकर लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। तीन बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही फिर से बवाल शुरू हो गया जिसके बाद सभी तीनों विधेयक जेपीसी को भेज दिए गए।
इससे पहले जब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने की सिफारिश की तो जमकर हंगामा कटा। विपक्ष की ओर से बिल की कॉपी फाड़कर केंद्रीय गृह मंत्री की ओर फेंक दी गई। हालांकि इन सबके बावजूद तीनों विधेयकों को जेपीसी को भेजने का प्रस्ताव पारित हो गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025, इसके साथ केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू व कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने का प्रस्ताव पेश किया गया।
मौजूदा वक्त में संविधान में ऐसे किसी भी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य मंत्री को हटाने की कोई व्यवस्था नहीं है जिसकी गिरफ्तारी किसी भी गंभीर आपराधिक मामले में हुई हो। यही वजह है कि अनुच्छेद 75 (केंद्र), 164 (राज्य) और 239AA (दिल्ली) में संशोधन प्रस्तावित है ताकि संवैधानिक रूप से ऐसी कार्रवाई की जा सके।
वर्तमान में केन्द्र शासित राज्यों के लिए मौजूद कानून ‘गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट 1963’ में किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को गंभीर अपराध में गिरफ्तारी की स्थिति में हटाने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। ऐसे में सरकार इस एक्ट की धारा 45 में संशोधन करने जा रही है ताकि ऐसी स्थिति में कानूनी रूप से उन्हें पदच्युत किया जा सके।
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ठीक इसी तरह 2019 के जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 54 में भी मुख्यमंत्री या मंत्री की गिरफ्तारी के बाद पद से हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। अब इसमें संशोधन के जरिए यह व्यवस्था की जाएगी कि यदि कोई मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर अपराध में अरेस्ट होता है और 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे पद से हटाया जा सकेगा।