रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव फोटो सोर्स: DD
नई दिल्ली: यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग ने कई सरकारी विभागों में विशेषज्ञों की भर्ती के वास्ते 45 पदों के लिए शनिवार को विज्ञापन दिया था। अब इस पर बहसबाजी शुरू हो गई है या यूं कहें कि राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षियों की ओर से इस पर तीखी आलोचना की जा रही है। इस पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने करारा जवाब दिया है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया साइट X पर एक पोस्ट जरिए कहा कि लेटरल एंट्री मामले में कांग्रेस का पाखंड स्पष्ट है। यह यूपीए सरकार थी जिसने लेटरल एंट्री की अवधारणा विकसित की थी।
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रेल मंत्री ने क्या कहा
रेल मंत्री ने आगे कहा कि दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग यानी कि एआरसी 2005 में यूपीए सरकार के तहत स्थापित किया गया था। वीरप्पा मोइली ने इसकी अध्यक्षता की थी। यूपीए काल के एआरसी ने विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों में अंतराल को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी।
आगे बोले कि एनडीए सरकार ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। यूपीएससी के माध्यम से पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती की जाएगी। इस सुधार से शासन में सुधार होगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का X पर पोस्ट
Lateral entry
INC hypocrisy is evident on lateral entry matter. It was the UPA government which developed the concept of lateral entry.
The second Admin Reforms Commission (ARC) was established in 2005 under UPA government. Shri Veerappa Moily chaired it.
UPA period ARC…
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 18, 2024
लेटरल एंट्री पर क्या बोले अश्विनी वैष्णव
रेल मंत्री ने कहा लेटरल एंट्री की अवधारणा पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान शुरू की गई थी और 2005 में उसके द्वारा स्थापित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसका जोरदार समर्थन किया था। 2005 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में स्थापित दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने इसका जोरदार समर्थन किया था।
अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा कि सरकार ऐतिहासिक रूप से बाहरी प्रतिभाओं को आमतौर पर सलाहकार भूमिकाओं में, लेकिन कभी-कभी प्रमुख प्रशासनिक कार्यों में भी उच्च स्तरों पर शामिल किया है।
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ताजा मामला क्या है
दरअसल, यूपीएससी ने कई सरकारी विभागों में विशेषज्ञों की भर्ती के वास्ते 45 पदों के लिए शनिवार को विज्ञापन दिया था। इन पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक और उप सचिव के पद हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना है। लेटरल एंट्री के फैसले की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की और दावा किया कि इससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण के अधिकार कमजोर होंगे। इसी पर विपक्षियों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।