कांग्रेस नेता राहुल गांधी व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (फोटो- सोशल मीडिया)
भोपाल/नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने ‘रेस का घोड़ा’, ‘बारात का घोड़ा’ और ‘लंगड़े घोड़े’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिसके बाद तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस टिप्पणी को दिव्यांगजनों का अपमान बताते हुए कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ‘विकलांग’ शब्द को हटाकर ‘दिव्यांगजन’ शब्द अपनाया, तब भाषा में संवेदनशीलता की शुरुआत हुई, लेकिन अब उसे फिर पीछे धकेला जा रहा है।
सिंधिया ने राहुल गांधी का नाम लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश ने सकारात्मक सोच और समावेशी भाषा की दिशा में कदम बढ़ाया है, लेकिन कुछ नेता उस सोच को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि ‘लंगड़ा घोड़ा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल क्या दिव्यांगजनों का अपमान नहीं है? सिंधिया ने कहा कि जो लोग गाली-गलौज और अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वे न केवल राजनीतिक मर्यादा तोड़ रहे हैं, बल्कि सामाजिक मूल्यों का भी हनन कर रहे हैं।
‘गाली-गलौज’ की भाषा से किया विरोध
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि जब समाज में भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, ऐसे में विपक्ष के नेता इस तरह की आपत्तिजनक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे न केवल दिव्यांगजनों की भावना आहत होती है, बल्कि इससे यह भी साफ होता है कि कांग्रेस आज भी पुराने सोच में उलझी है।
राहुल के बयान को बताया अमर्यादित और असंवेदनशील
सिंधिया ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा ‘लंगड़े घोड़े’ की उपमा देना सिर्फ एक राजनीतिक रणनीति नहीं, बल्कि यह असंवेदनशीलता की मिसाल है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने जिनके लिए ‘दिव्यांगजन’ जैसा आदरयुक्त शब्द दिया, उनके लिए कांग्रेस नेता ऐसा बोलकर खुद की सोच का परिचय दे रहे हैं।
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स्टारलिंक कनेक्टिविटी को लेकर दिया बड़ा बयान
इसके साथ ही सिंधिया ने डिजिटल कनेक्टिविटी को लेकर भी महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने बताया कि सरकार अब दूरदराज के क्षेत्रों में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के लिए स्टारलिंक जैसी संस्थाओं को लाइसेंस देने जा रही है, जिससे उन इलाकों में भी मोबाइल और इंटरनेट सुविधा पहुंच सकेगी, जहां केबल या टावर लगाना मुश्किल है।