राजस्थान में फिर गरजा गुर्जर आंदोलन (फोटो- सोशल मीडिया)
जयपुर: राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गुर्जर आंदोलन की गर्माहट से तपने लगी है। आरक्षण को लेकर वर्षों से चल रही मांगें अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही हैं। भरतपुर के पीलूपुरा में 8 जून को होने वाली महापंचायत को लेकर तैयारी जोरों पर है और प्रशासन भी पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है। गांव-गांव जाकर आमंत्रण दिए जा रहे हैं, और चेतावनी भी दी जा चुकी है कि इस बार वार्ता समाज के सामने ही होगी। माहौल में तनाव तो है, लेकिन आंदोलन की रणनीति बेहद साफ और सधी हुई नजर आ रही है।
गुर्जर आंदोलन का यह स्थल पीलूपुरा इतिहास में पहले भी कई बार आंदोलन का केंद्र रहा है। इस बार समिति इसे प्रतीक स्थल के रूप में उपयोग कर रही है, जिससे समुदाय में एकजुटता का संदेश भी जा रहा है। सामाजिक लामबंदी के इस प्रयास को देखते हुए प्रशासन की चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि शांतिपूर्ण आयोजन के नाम पर कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर स्तर पर निगरानी तेज कर दी गई है।
राजस्थान में आरक्षण को लेकर फिर से हलचल
गुर्जर आरक्षण को लेकर फिर से आंदोलन की हलचल तेज हो गई है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने 8 जून को भरतपुर जिले के पीलूपुरा में महापंचायत करने का ऐलान किया है। इस महापंचायत में आरक्षण से जुड़े मसलों पर सरकार से बातचीत का रुख तय किया जाएगा। समिति की ओर से गांव-गांव जाकर पीले चावल बांटे जा रहे हैं और समाज के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। इस घटनाक्रम के बाद जिला प्रशासन ने बैठकें शुरू कर दी हैं और समाज के नेताओं से संपर्क साधा है। हालांकि, समिति की ओर से साफ कर दिया गया है कि अब किसी बंद कमरे में सरकार से कोई बातचीत नहीं होगी। बातचीत होगी तो समाज के बीच खुले मंच पर होगी। समिति का यह भी कहना है कि सरकार को बातचीत का रूट पहले ही बता दिया गया है, और जो भी अधिकारी या प्रतिनिधि बात करना चाहते हैं, वे उसी रास्ते से आकर संपर्क करें।
सरकार को 8 जून तक का वक्त
समिति ने सरकार को 8 जून तक का समय दिया है ताकि वह अपनी बात स्पष्ट रूप से सामने रख सके। समिति का कहना है कि अगर इस तय समय तक सरकार की ओर से कोई ठोस प्रस्ताव नहीं आता, तो पीलूपुरा की महापंचायत में आगामी आंदोलन की दिशा और स्वरूप पर बड़ा फैसला लिया जाएगा।
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प्रशासन ने वार्ता का दिया न्योता
प्रशासन की ओर से वार्ता का प्रयास किया गया है और गुर्जर समाज से कहा गया है कि किसी भी तरह की स्थिति को टालने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाया जाए। प्रशासन का कहना है कि सरकार के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं और शांति बनाए रखना सभी की प्राथमिकता है।