राहुल गांधी, अखिलेश यादव, नरेंद्र मोदी, अमित शाह (फोटो-सोशल मीडिया)
नई दिल्लीः संसद का मानसून सत्र चल रहा है। देशभर में बादल बरस रहे हैं और संसद में विपक्ष सवालों की बारिश कर रहा है। बीते दो दिन संसद की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई। हालांकि अब विपक्षी दलों की डिमांड पूरी हो गई है। सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को तैयार हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर से लेकर सीजफायर तक पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए 32 घंटे का समय तय किया गया। समय तो बीएसी ने तय कर दिया था, लेकिन दिन तय नहीं था। अब सरकार ने चर्चा का दिन भी फिक्स कर दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरुआत सोमवार को यानी 28 जुलाई को लोकसभा में होगी। इसके बाद 29 जुलाई को राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होगी। उच्च सदन यानी राज्यसभा और निम्न सदन यानी लोकसभा में 16-16 घंटे महाबहस होगी।
बता दें कि इससे पहले बीएसी की मीटिंग में दिन फिक्स नहीं था, लेकिन सरकार की तरफ से चर्चा के लिए अनुमति मिल गई थी। इसके बाद बीएसी ने लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे बहस के लिए तय किया था। अब दोनों सदनों में बहस के लिए 16-16 घंटे तय किए गए हैं। बीएसी की मीटिंग में विपक्षी दलों ने अन्य मुद्दों पर किसी भी नियम के तहत शॉर्ट ड्यूरेशन डिस्कशन की मांग की।
विपक्ष की तरफ से 24 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की डिमांड की गई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान विदेशी दौरे पर रहेंगे। इसलिए सरकार 24 जुलाई को चर्चा पर तैयार नहीं हुई। इसलिए अब 28 जुलाई की तारीख पर समहति बन गई है। वहीं विपक्ष ने मांग की है कि बीएसी की बैठक हर सप्ताह होनी चाहिए।
गौरतलब है कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले विपक्ष और सत्ता पक्ष ने सदन में उठाए जाने वालों मुद्दों को लेकर तैयारिया की थीं। सबसे पहले कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने सदन में सरकार को घेरने का प्लान बनाया। इसके बाद इंडिया गठबंधन की एक वर्चुअल बैठक हुई। इस बैठक में 24 दलों के नेताओं ने भाग लिया। इसमें प्रमुख रूप से 8 मुद्दों को उठाने पर सहमति बनी। इसमें ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमला, सीजफायर, बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन सहित अन्य मुद्दे हैं।
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सरकार को सबसे ज्यादा जो मुद्दे परेशान कर सकते हैं, उसमें ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर और वोटर लिस्ट रिवीजन हैं। इसके लिए सरकार के मंत्रियों ने भी बैठक कर एक स्ट्रैटजी तैयार की। इसके लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक के बाद एक बैठकें की हैं। इन बैठकों का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार का जवाब तैयार करना बताया जा रहा है। विपक्ष के आक्रामक सवालों का सरकार उसी आक्रामकता के साथ जवाब देने के मूड में है।