
प्रोफेसर जोसेफ अपनी पत्नी सलोमी के साथ (फाइल फोटो)
NIA Probe on PFI: केरल में हुए उस खौफनाक कांड को शायद ही कोई भूला हो, जब प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ सरेआम काट दिया गया था। इस दिल दहला देने वाली घटना के करीब 15 साल बाद, जांच एजेंसी NIA एक बार फिर हरकत में आ गई है। कोच्चि की विशेष अदालत में NIA ने बताया है कि प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया PFI के कई और सदस्यों की भूमिका की जांच जरूरी है। मुख्य आरोपी सवाद की गिरफ्तारी के बाद मिली नई जानकारियों ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।
मुख्य आरोपी सवाद करीब 14 साल तक पुलिस को चकमा देता रहा और कन्नूर में ‘शाहजहां’ बनकर छिपा हुआ था। 10 जनवरी 2024 को उसकी गिरफ्तारी के बाद हिरासत में हुई पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। सवाद ने कबूला है कि फरार रहने के दौरान PFI के कई गुर्गों ने उसे तमिलनाडु और केरल में नौकरी दिलाने और छिपाने में मदद की थी। इसी आधार पर एजेंसी अब वैज्ञानिक सबूत जुटाना चाहती है और इस बड़ी साजिश में शामिल अन्य चेहरों को बेनकाब करने की तैयारी कर रही है, जिसकी मंजूरी अदालत ने दे दी है।
यह पूरी घटना 4 जुलाई 2010 की है, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। प्रोफेसर जोसेफ इडुक्की जिले में अपने परिवार के साथ रविवार की प्रार्थना करके घर लौट रहे थे। तभी हमलावरों के एक समूह ने उनकी गाड़ी रोकी और उन्हें बाहर खींचकर उन पर हमला बोल दिया। सवाद ने उनका दाहिना हाथ यह कहते हुए काट दिया कि इस्लाम का अपमान करने वाला हाथ फिर नहीं उठना चाहिए। आरोप था कि प्रोफेसर ने न्यूमैन कॉलेज की परीक्षा के एक प्रश्न पत्र में कथित तौर पर धार्मिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी। सवाद वहां से भाग निकला था और 14 साल बाद पकड़ा गया।
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NIA की ताजा जांच की सुई अब शफर सी नामक व्यक्ति पर घूमी है, जिसने कथित तौर पर 2020 से सवाद को मट्टन्नूर और चक्कड़ में पनाह दी थी। उसे अब 55वें आरोपी के रूप में शामिल किया गया है। पिछले साल ही विशेष अदालत ने इस मामले में सजिल, एमके नासर और नजीब को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि तीन अन्य को तीन साल की जेल हुई थी। हालांकि, सवाद के वकील का कहना है कि यह नई जांच सिर्फ पेंडिंग ट्रायल को लटकाने का एक बहाना है, लेकिन एजेंसी का मानना है कि इस नेटवर्क की जड़ें काफी गहरी हैं जिन्हें उखाड़ना जरूरी है।






