शशि थरूर ( सोर्स सोशल मीडिया)
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने हाल ही में देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी राजनेता की पहली निष्ठा देश के प्रति होनी चाहिए, न कि केवल पार्टी के प्रति। थरूर ने जोर देकर कहा कि राजनीतिक दल महज एक साधन हैं, जिनका उद्देश्य एक बेहतर भारत का निर्माण करना है।
थरूर ने कहा कि उनका दर्शन शुरू से ही देश पहले का रहा है। उन्होंने बताया कि वे संयुक्त राष्ट्र में एक सफल करियर के बाद भारत इसलिए लौटे, ताकि वे राजनीति के जरिए और उससे परे, दोनों ही तरीकों से देश की सेवा कर सकें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने हमेशा प्रयास किया है कि उनके हर कदम से राष्ट्र का हित सर्वोपरि रहे।
थरूर ने कहा, “पार्टियां सिर्फ एक माध्यम हैं, जिनका मकसद देश को बेहतर बनाना है। अगर देश ही नहीं रहेगा, तो पार्टियों का क्या महत्व रह जाएगा?” उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों की बात आती है, तब सभी दलों को मिलकर एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से जब कोई नेता विपक्ष के बाहर के दलों के साथ मिलकर काम करता है, तो उसे पार्टी से बेवफाई समझ लिया जाता है, जो एक बहुत बड़ी गलतफहमी है।
In Kochi today, I was asking inevitable question by a high school student. While I have been steering clear of such political discussions in public, I felt a student deserved a response: pic.twitter.com/AIUpDBl0Kf
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 19, 2025
थरूर ने अपने भाषण में यह भी बताया कि उन्होंने हाल के समय में देश की सीमाओं पर हुए घटनाक्रमों के संदर्भ में सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस वजह से आलोचना भी झेलनी पड़ी, लेकिन वे अपने रुख पर कायम हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह देश के हित में है। ‘कई लोग मेरे इस रुख की आलोचना करते हैं, पर मैं अपनी बात पर अड़ा रहूंगा क्योंकि मेरा उद्देश्य केवल देश का हित है’ उन्होंने कहा।
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जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उनका कांग्रेस नेतृत्व से कोई टकराव है, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य राजनीति पर चर्चा करना नहीं है। उन्होंने कहा कि वे कार्यक्रम में केवल विचार साझा करने और दो भाषण देने आए थे। एक भाषण विकास और शांति पर केंद्रित था, जबकि दूसरा सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता पर आधारित था। अंत में थरूर ने कहा कि राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन जब देश कठिन समय से गुजर रहा हो, तब हर किसी को एकजुट होकर राष्ट्र की सेवा में खड़ा होना चाहिए।