संसद के मानसून सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक (फोटो- @ANI)
Parliament Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र से पहले आयोजित सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच समन्वय व तालमेल होना जरूरी है। हम मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर सांसदों के हस्ताक्षरों की संख्या पहले ही 100 को पार कर चुकी है।
सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संसद सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं की एक बैठक हुई थी। इस सत्र में कुल 51 राजनीतिक दल और निर्दलीय सांसद भाग लेंगे। इन 51 दलों के 54 सदस्यों ने बैठक में भाग लिया। 40 सांसदों ने अपनी-अपनी पार्टियों की ओर से अपने विचार रखे। यह बहुत ही रचनात्मक रहा। सभी नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों की स्थिति और इस सत्र में वे कौन से मुद्दे उठाना चाहते हैं, इस बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी के विचारों पर ध्यान दिया है। हमने अनुरोध किया है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष सदन के सुचारू संचालन के लिए अच्छे समन्वय से काम करें। हम अलग-अलग विचारधाराओं वाले राजनीतिक दल हो सकते हैं, लेकिन संसद का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना हम सभी की ज़िम्मेदारी है।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दावों के मुद्दे पर सरकार संसद में उचित जवाब देगी। ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर पार्टियों ने कहा है कि इन मुद्दों पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। हम खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार हैं। हम नियमों और परंपराओं के अनुसार काम करते हैं और उन्हें बहुत महत्व देते हैं। इसलिए हम हर मुद्दे पर नियमों और परंपराओं के अनुसार चर्चा करेंगे।
संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने कहा कि विपक्ष ने अपने विचार रखे। NDA, UPA (INDIA गठबंधन) और बीच के दलों ने अपने विचार रखे हैं। हम इन सभी मुद्दों को संसद में उठाएंगे, और क्या चर्चा करनी है और क्या नहीं, यह BAC (कार्य मंत्रणा समिति) में तय किया जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि छोटे राजनीतिक दलों, खासकर जिनके पास 1-2 सांसद हैं, को बोलने के लिए कम समय मिलता है क्योंकि समय उनकी संख्या के अनुसार आवंटित किया जाता है। लेकिन हमने इस पर संज्ञान लिया है। हम छोटे दलों को पर्याप्त समय देने पर सहमत हुए हैं। हम इसे लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के समक्ष रखेंगे और फिर कार्य मंत्रणा समिति में इस मुद्दे को उठाएंगे।
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