कल चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा
Election Commission press conference: भारत निर्वाचन आयोग रविवार, 17 अगस्त को दोपहर 3 बजे नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में एक अहम प्रेस कॉफ्रेंस करने जा रहा है। इस आयोजन को लेकर राजनीतिक हलकों में गहरी दिलचस्पी है, क्योंकि आयोग पर बीते दिनों विपक्ष ने मतदाता सूची में धांधली और वोट चोरी के तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। खासतौर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक उठाया है और अब आयोग की ओर से औपचारिक प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है जो कि कल मीडिया के सामने आकर आयोग की प्रेस कॉफ्रेंस होगी।
विपक्ष के इंडिया ब्लॉक ने 11 अगस्त को दिल्ली में चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च किया था। लगभग 300 सांसद इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, हालांकि पुलिस ने इसे बीच में ही रोक दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग भाजपा के साथ मिलीभगत करके मतदाता सूची में हेरफेर कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र से ही लाखों वोटों की चोरी हुई है। कांग्रेस का कहना है कि अगर यह धांधली न होती, तो उन्हें कर्नाटक में 16 सीटें मिल सकती थीं।
राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाता सूची से जुड़े कई गड़बड़ियों की बात कही। उनके अनुसार, सूची में डुप्लीकेट वोटर, फर्जी पते और एक ही पते पर सैकड़ों वोटरों के नाम मौजूद हैं। राहुल ने महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों का हवाला देते हुए दावा किया कि केवल पांच महीनों में लाखों नए नाम जोड़े गए, जो संदेहास्पद है। उन्होंने आयोग से मांग की कि मतदाता सूची को डिजिटल और मशीन-रीडेबल रूप में सार्वजनिक किया जाए, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है। 11 अगस्त को आयोग ने कहा कि राहुल गांधी के दावे तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक हैं। कर्नाटक और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने भी साफ किया कि मतदाता सूची जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम 1960 के तहत पारदर्शी प्रक्रिया से तैयार की गई है। आयोग ने सोशल मीडिया पर तथ्य-जांच पोस्ट साझा कर विपक्ष के आरोपों को बेबुनियाद बताया।
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इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, उनके कारण पंचायत और जिला स्तर पर प्रकाशित किए जाएं और इसका व्यापक प्रचार भी किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि मतदाता सूची की पारदर्शिता लोकतंत्र की बुनियाद है। आयोग की इस प्रेस कॉन्फ्रेस से तमाम उम्मीदें की जा रही है कि वह वोट चोरी विवाद पर ठोस जवाब देगा और आने वाले चुनावों में मतदाता सूची की विश्वसनीयता को लेकर भरोसा बहाल करने की कोशिश करेगा।