राहुल गांधी ने बिहार के मृत मतदाताओं के साथ चाय पी
Rahul Gandhi tea with dead voters: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में बिहार के ऐसे सात मतदाताओं से मुलाकात की, जिन्हें ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में मृत दर्ज करके कथित तौर पर सूची से बाहर कर दिया गया था, और इस अनुभव के लिए उन्होंने चुनाव आयोग पर तीखा तंज कसा। राहुल ने एक्स पर वीडियो साझा कर कहा कि जीवन में बहुत दिलचस्प अनुभव हुए, पर मृत लोगों के साथ चाय पीने का मौका पहली बार मिला, इस अनोखे अनुभव के लिए, धन्यवाद चुनाव आयोग। यह मुद्दा बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के दौर में उठ रहा है, जहां भारी पैमाने पर नामों की काट-छांट और मृत/स्थानांतरित/डुप्लीकेट एंट्री का विवाद गर्म है।
राहुल से मिलने पहुंचे लोगों में राघोपुर क्षेत्र के मतदाता भी थे, जिन्होंने बताया कि बूथ लेवल पर मिली सूची में नाम गायब थे और उन्हें मृत दिखाया गया, जबकि वे जीवित हैं और नियमित रूप से मतदान करते रहे हैं। राहुल ने बातचीत में पूछा कि ऐसे कितने लोग हो सकते हैं, तो उन्हें बताया गया कि एक पंचायत में ही कई दर्जन मामलों की शिकायतें मिली हैं और कई प्रभावित लोग अभी सामने नहीं आ पाए हैं। कांग्रेस और राजद नेताओं का आरोप है कि सूचियों में बड़े पैमाने पर गलतियां हैं, जिनकी पारदर्शी जांच और त्वरित सुधार जरूरी है, वरना चुनावी निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे।
जीवन में बहुत दिलचस्प अनुभव हुए हैं,
लेकिन कभी ‘मृत लोगों’ के साथ चाय पीने का मौका नहीं मिला था।इस अनोखे अनुभव के लिए, धन्यवाद चुनाव आयोग! pic.twitter.com/Rh9izqIFsD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 13, 2025
आरजेडी नेता संजय यादव ने SIR प्रक्रिया को लेकर कहा कि चुनाव आयोग को 36 लाख स्थानांतरित मतदाताओं समेत हटाए गए नामों की पूरी सूची, पते, बूथ और EPIC विवरण सार्वजनिक करने चाहिए, वरना सत्यापन असंभव है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार SIR के प्रथम चरण के बाद ड्राफ्ट रोल से लगभग 65 लाख नाम हटाए जाने की आशंका जताई गई, जिसमें 22 लाख मृत, करीब 7 लाख डुप्लीकेट और लगभग 35 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित/अनट्रेस्ड बताए गए हैं, जिस पर विपक्ष ने प्रक्रिया और डेटा पारदर्शिता पर आपत्तियां उठाईं। इसी बीच पटना और अन्य जिलों में कुछ स्थानों पर ड्राफ्ट रोल में मृत नाम दिखने या वैध मतदाताओं के नाम गायब होने की शिकायतें भी दर्ज हुईं, जिन्हें लेकर राजनीतिक घमासान बढ़ा है।
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चुनाव आयोग और जिला प्रशासन ने तेजस्वी यादव के अपने नाम गायब होने संबंधी आरोपों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताते हुए कहा कि उनका नाम ड्राफ्ट रोल में क्रम संख्या सहित मौजूद है, और EPIC नंबर को लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है, जबकि विपक्ष पारदर्शिता और त्रुटियों के त्वरित निराकरण की मांग पर अड़ा है। उधर, राहुल गांधी की मृत मतदाताओं संग चाय वाली पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बहस तेज कर दी है, जिससे SIR प्रक्रिया, बड़े पैमाने पर डिलीशंस और मतदाता अधिकारों की सुरक्षा पर राष्ट्रीय चर्चा फिर से केंद्र में आ गई है। कई मीडिया रिपोर्टें और ग्राउंड इंटरैक्शंस संकेत देते हैं कि मतदाता सूचियों की सफाई आवश्यक है, परंतु उसे डेटा की शुद्धता, सूचना की उपलब्धता और न्यायसंगत अपील प्रक्रिया के साथ अंजाम देना लोकतंत्र के लिए उतना ही जरूरी है।