दिल्ली में आयोजित ‘एकात्म मानवतावाद’ प्रदर्शनी में पहुंचे केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: देश में जब वर्षों से पश्चिमी सोच का प्रभाव विचारधारा और नीतियों पर हावी रहा, तब भारतीय चिंतन की बात करने वाले विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने ‘एकात्म मानवतावाद’ का दर्शन रखा। अब यही विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिशा प्राप्त कर रहा है। इसी सोच को लेकर दिल्ली में आयोजित ‘एकात्म मानवतावाद’ प्रदर्शनी में पहुंचे केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि भारत को अब अपनी नीतियां और मानक खुद तय करने हैं, ना कि दुनिया के तय किए गए मापदंडों पर चलना है।
कार्यक्रम में यह भी जोर दिया गया कि भारत की व्यवस्था विकेंद्रीकृत होनी चाहिए, जिससे विकास स्थानीय स्तर पर मजबूत हो सके। ‘एकात्म मानवतावाद’ का यही मूल आधार रहा है कि व्यक्ति, समाज और राष्ट्र एक सूत्र में जुड़े रहें। आज भारत वैश्विक मानकों के बजाय अपने मूल्यों और आवश्यकताओं के अनुसार नीति निर्धारण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
#WATCH | Delhi | Union Minister and BJP President JP Nadda says, “Western political thinking had a huge influence (in India)… In such a situation, Pandit Deen Dayal Upadhyay said that we have to create our own ideology and take it forward by giving prominence to Indian… https://t.co/zZnk6BQhgy pic.twitter.com/RDqhnvzB6Z
— ANI (@ANI) June 1, 2025
भारतीय विचारधारा को मिली नई ऊर्जा
प्रदर्शनी में जेपी नड्डा ने कहा कि एक समय था जब भारत की नीतियां विदेशी सोच से प्रभावित होती थीं। लेकिन पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने इस धारणा को चुनौती देते हुए कहा कि भारत को अपनी परिस्थितियों के अनुसार अपनी विचारधारा गढ़नी चाहिए। उन्होंने ‘एकात्म मानवतावाद’ के माध्यम से भारतीय सोच को प्रमुखता दी, जो व्यक्ति और समाज के समग्र विकास की बात करता है। साथ ही जेपी नड्डा ने कहा कि कभी गुरूजी भी कहते थे हमें 4 दीनदयाल मिल जाएं तो मैं देश में परिवर्तन ले आऊं।
अब भारत अपने मानक खुद तय कर रहा
जेपी नड्डा ने कहा कि पंडित उपाध्याय मानते थे कि दुनिया के तय किए गए मानक भारत के लिए जरूरी नहीं हैं। हमें अपने लिए उपयुक्त मानक खुद तय करने चाहिए। यह सोच अब धरातल पर उतर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अब अपनी सामाजिक और आर्थिक नीतियों को भारतीय मानकों पर गढ़ रहा है। देश आज ‘विकेंद्रीकृत विकास’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिससे आत्मनिर्भरता को बल मिल रहा है।