कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सीजफायर को लेकर एक बार फिर सियासत गर्म हो गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता यूरी उशाकोव के बयान के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। उशाकोव ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन के बीच भारत-पाक संघर्ष को लेकर बातचीत हुई थी, जिसमें ट्रंप ने हस्तक्षेप कर सीजफायर में भूमिका निभाई। इस बयान ने पुराने सवालों को फिर हवा दी है, जिनमें सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या भारत सरकार ने अमेरिका की मध्यस्थता स्वीकार की थी?
भारत सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का फैसला दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच आपसी बातचीत से हुआ था और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। सरकार का दावा है कि पाकिस्तान ने पहले बातचीत की पहल की थी। इसके बावजूद बार-बार ट्रंप की ओर से इस मामले में अपनी भूमिका बताने और अब पुतिन के प्रवक्ता की टिप्पणी से विपक्षी दल एक बार फिर सरकार से जवाब मांग रहे हैं।
रूसी प्रवक्ता के बयान पर विपक्ष हमलावर
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता द्वारा यह कहे जाने के बाद कि ट्रंप और पुतिन के बीच भारत-पाकिस्तान विवाद पर चर्चा हुई थी, कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि अगर अमेरिका की भूमिका रही है तो सरकार क्यों चुप है। विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री को सामने आकर इस पूरे मामले की सच्चाई बतानी चाहिए। खासतौर पर तब जब ट्रंप पहले भी कई बार यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध टलवाया।
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सरकार की चुप्पी पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
विपक्ष ने सीधे तौर पर सरकार की चुप्पी पर निशाना साधा है। पूछा गया है कि अगर ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर हुआ है, तो प्रधानमंत्री ने उस पर राजनीतिक स्तर पर क्या निर्देश दिए थे? क्या सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में कोई फैसला लिया है? हालांकि सरकार पहले ही यह कह चुकी है कि यह फैसला भारत-पाक के सैन्य अधिकारियों के स्तर पर हुआ था और किसी तीसरे देश का इसमें कोई रोल नहीं है।