
अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (फोटो सोर्स - एक्स)
नवभारत डेस्क : प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भारत का नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है। 3 नवंबर 1933 को जन्मे सेन का जीवन एक प्रेरणा है, जो गरीबी और भूख के खिलाफ उनके अनथक संघर्ष की कहानी बयां करता है। उनका योगदान न केवल अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बल्कि मानवता के कल्याण के लिए भी अभूतपूर्व रहा है। उन्हें भारत रत्न और अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार जैसे सर्वोच्च सम्मान मिल चुके हैं, जो उनके कार्यों की अंतरराष्ट्रीय मान्यता को दर्शाते हैं।
सेन का परिवार भारतीय संस्कृति और साहित्य के महान व्यक्तित्व, गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के निकटता से जुड़ा रहा है। उनके जन्म के बाद, पिता आशुतोष सेन ने उन्हें गुरुदेव के पास ले जाकर आशीर्वाद लिया। टैगोर ने अमर्त्य का नामकरण करते हुए कहा था, “यह असामान्य बालक है। बड़ा होकर असाधारण बनेगा और दुनिया से जाने के बाद भी इसका नाम अक्षुण्ण रहेगा।” यह भविष्यवाणी समय के साथ सही साबित हुई जब सेन ने विश्व मंच पर भारत का नाम रोशन किया।
अमर्त्य सेन का जीवन भूख और गरीबी की वास्तविकता से भरा हुआ है। 1943 में बंगाल में हुए भयंकर अकाल के दौरान, उन्होंने अपने घर के सामने भूख से मरते लोगों को देखा। इस दर्दनाक अनुभव ने उनके मन में गरीबी और भूख के खिलाफ लड़ाई की प्रेरणा जगा दी। बड़े होकर, उन्होंने इसी दिशा में काम किया और 1998 में उनकी मेहनत को नोबेल पुरस्कार से मान्यता मिली।
उनकी प्रतिभा और कार्य के लिए अमर्त्य सेन को 1999 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने दर्जनों प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते हैं, जो उनकी विद्या और सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उनकी किताबें और शोध कार्य भी विश्वभर में अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
अमर्त्य सेन के दादा क्षितिमोहन सेन संस्कृत के अध्यापक थे और टैगोर के करीबी सहयोगी रहे। उनकी मां अमिता सेन भी शिक्षिका थीं। इस प्रकार, सेन का जीवन ज्ञान और शिक्षा के माहौल में विकसित हुआ, जिसने उन्हें एक स्पष्ट दृष्टिकोण दिया।
अमर्त्य सेन का जीवन और उनके कार्य इस बात का प्रमाण हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपने अनुभवों और ज्ञान का उपयोग कर समाज में परिवर्तन ला सकता है। आज, जब वे अपने जन्मदिन का मना रहे हैं, उनका योगदान हमें प्रेरित करता है कि हम भी मानवता के कल्याण के लिए कार्य करें।
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