अमिताभ कांत (फोटो- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: अमिताभ कांत ने जी-20 के शेरपा पद से इस्तीफा दे दिया है। अमिताभ ने अपने 45 साल लंबे सरकारी सेवा के करियर में कई महत्वपूर्ण पद संभाले हैं। उन्होंने जी-20 के शेरपा पद से इस्तीफा देने की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए दी।
केरल कैडर के 1980 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी कांत को जुलाई 2022 में भारत का जी20 शेरपा नियुक्त किया गया था। भारत के जी20 की अध्यक्षता संभालने के कुछ महीने पहले उनकी नियुक्ति की गई थी। उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट करके अपने फैसले के बारे में दुनिया को बताया।
अमिताभ ने लिंक्डइन पर ‘मेरा नया सफर’ शीर्षक से पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने कहा, 45 साल की समर्पित सरकारी सेवा के बाद, मैंने नए अवसरों को अपनाने तथा जीवन में आगे बढ़ने का फैसला किया है। मैं जी20 शेरपा के रूप में मेरा इस्तीफा स्वीकार करने और मुझे कई विकासात्मक पहलों को आगे बढ़ाने तथा भारत की वृद्धि, विकास एवं प्रगति में योगदान करने का अवसर देने के लिए भारत के प्रधानमंत्री का बहुत आभारी हूं।
Amitabh Kant steps down as G20 Sherpa; tweets, “…I now look forward to contributing to India’s transformational journey towards Viksit Bharat by facilitating and supporting free enterprise, startups, think tanks, and academic institutions…”
He tweets, “After 45 years of… pic.twitter.com/ZCumAHbLXn
— ANI (@ANI) June 16, 2025
उन्होंने कहा कि भारत के जी-20 शेरपा के रूप में बहुपक्षीय वार्ता का नेतृत्व करना उनके ‘करियर’ की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रहा है। कांत ने कहा कि 2023 में भारत की जी-20 की अध्यक्षता, इस मंच के इतिहास की अब तक सबसे अधिक समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक अध्यक्षताओं में से एक रही। उन्होंने कहा, हमने महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद ‘न्यू डेली लीडर्स डिक्लेरेशन’ पर सर्वसम्मति हासिल की। साथ ही डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, बहुपक्षीय वित्तीय सुधार, जलवायु वित्त और महिला-नेतृत्व वाले विकास जैसी महत्वपूर्ण विकासात्मक प्राथमिकताओं पर विश्व का ध्यान पुनः केंद्रित करने में सफलता प्राप्त की।
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कांत ने 2016-2022 तक नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) के तौर पर काम किया था। अपने कार्यकाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें परिवर्तनकारी आकांक्षी जिला कार्यक्रम का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला, जिसने सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में सुधार करके और हमारे लाखों नागरिकों के लिए अवसर उत्पन्न करके भारत के 115 सबसे पिछड़े जिलों का उत्थान किया।