हिमाचल पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह (फोटो-सोशल मीडिया)
शिमला: एनएचएआई के दो अधिकारियों पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में मामला दर्ज होने के एक दिन बाद बुधवार को हिमाचल प्रदेश के पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘प्राथमिकी का मतलब यह नहीं है कि मैं दोषी हूं।” आगे अनिरुद्ध सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा सड़क निर्माण कार्यों में व्यापक अनियमितताओं का भी दावा किया और इसके अधिकारियों को “देश में सबसे भ्रष्ट” कहा।
कथित घटना सोमवार को उस समय हुई जब मंत्री शिमला में एक इमारत ढहने वाली जगह का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने एनएचएआई के अधिकारियों को वहां बुलाया था। इमारत के मालिक ने एनएचएआई और फोर-लेन परियोजना में शामिल कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाया था। मंत्री ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ नहीं हुआ, कोई हमला नहीं हुआ। सोमवार को भट्टा कुफर में पांच मंजिला इमारत ढहने के मामले से लोगों का ध्यान हटाने का प्रयास किया गया। इमारत ढहने की घटना एनएचएआई की लापरवाही के कारण हुई।”
NHAI अफसरों ने लगाया था मारपीट करने का आरोप
मंगलवार को पंचायती राज मंत्री पर गलत तरीके से रोकने, जानबूझकर चोट पहुंचाने, लोक सेवक को अपने कर्तव्य से रोकने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग करने तथा जानबूझकर अपमान करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी एनएचएआई कर्मचारी अचल जिंदल की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जो शिमला में फोर-लेन वाली एक परियोजना के प्रबंधक हैं। जिंदल ने आरोप लगाया था कि उन्हें और उनके साइट इंजीनियर योगेश को मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने एक कमरे में बुलाया और उनकी पिटाई की।
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मंत्री का दावा मुस्कुरा रहे थे NHAI के अधिकारी
मंत्री ने दावा किया कि मौके पर एनएचएआई के अधिकारी “मुस्कुरा रहे थे और कह रहे थे कि मुआवज़ा दिया जाएगा।” सिंह ने आरोप लगाया कि एनएचएआई के अधिकारियों का व्यवहार और शब्द “अनुचित” थे, जिसके बाद निवासियों ने अधिकारियों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराई और मामले दर्ज किए गए। उन्होंने पूछा यह केवल वित्तीय मुआवजे की बात नहीं है। यह मानव जीवन, उनके घरों और उनकी भावनाओं के बारे में है। मंत्री ने पूछा कि ढलान संरक्षण के लिए एनएचएआई को कितनी अतिरिक्त धनराशि प्राप्त हुई तथा उस धनराशि का कितनी पारदर्शिता से उपयोग किया गया। ठेकेदारों, केंद्रीय सरकारी एजेंसियों और एनएचएआई अधिकारियों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए उन्होंने जनता की बार-बार की शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए वन, राजस्व और पर्यावरण विभागों की भी आलोचना की।
-एजेंसी इनपुट के साथ