पटना के गांधी मैदान में बारिश की वजह से रावण का पुतला गल गया, फोटो- सोशल मीडिया
Dussehra Celebration: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा, इस बार बादलों के आगे हार गया। दिल्ली से लेकर पटना तक कई शहरों में रावण का पुतला जलने से पहले ही बारिश में गल गया। लोगों को रावण दहन देखने का जोश तो था, लेकिन मौसम ने तैयारियों पर पानी फेर दिया। कई जगहों पर आयोजकों को कार्यक्रम स्थगित करने या बदलने तक की नौबत आ गई।
दशहरा के मौके पर शाम होते ही हर साल मैदानों में रावण के दहन के साथ आतिशबाज़ियों की चमक दिखाई देती है, लेकिन इस बार जैसे ही शाम ढली, आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई। दिल्ली, पटना, लखनऊ, कटनी, बरेली जैसे शहरों में अचानक बारिश ने दस्तक दी और रावण के पुतलों को जलने से पहले ही भिगो दिया।
पटना के गांधी मैदान में रावण दहन की तैयारी ज़ोरों पर थी। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों को सजाया जा चुका था, लेकिन जैसे ही काले बादल घिरे, तेज़ बारिश शुरू हो गई। पुतले पूरी तरह भीग गए और रावण का सिर जलने से पहले ही गिरकर लटक गया। आयोजकों की पूरी तैयारी बर्बाद हो गई, लेकिन लोग अभी भी रावण दहन देखने के लिए इंतजार में डटे हैं।
#बिहार #पटना : ➡️झमाझम बारिश के बीच भी गांधी मैदान में रावण वध कार्यक्रम को लेकर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। ➡️बारिश के बीच रावण के पुतले का सिर झुका। कुछ ही देर में होगा रावण वध कार्यक्रम की शुरुआत। Report- Ashish Ranjan@airnewsalerts pic.twitter.com/EHzq5kuOlE — आकाशवाणी समाचार, पटना (@airnews_patna) October 2, 2025
दिल्ली और आसपास के इलाकों में दोपहर बाद मौसम का मिजाज अचानक बदल गया। झमाझम बारिश के चलते पुतले गीले हो गए और कई जगह आयोजकों को आखिरी वक्त पर प्रोग्राम में बदलाव करना पड़ा। मैदानों में पानी भर गया और दर्शकों की भीड़ भी कम हो गई।
उत्तर प्रदेश के बरेली में दशहरे पर हर साल बड़े मेले का आयोजन होता है, लेकिन इस बार वहां भी रावण ने जलने से इनकार कर दिया। तेज बारिश ने पुतले को इस कदर भिगो दिया कि वह खुद-ब-खुद गलकर गिर गया। आयोजकों ने कहा कि कुछ पुतले इतने गीले हो गए हैं कि अब उन्हें जलाना संभव नहीं होगा।
कटनी और रामानुजगंज जैसे शहरों में भी बारिश ने त्योहार की रौनक पर असर डाला। कटनी में तेज़ हवा और बारिश ने रावण दहन को मुश्किल बना दिया, वहीं छत्तीसगढ़ के रामानुजगंज में 60 फीट ऊंचे पुतले को बचाने के लिए कारीगरों को काफी मेहनत करनी पड़ी।
दशहरे के दिन जहां देशभर में रावण के पुतले धू-धू कर जलते हैं, इस बार वहीं रावण बादलों के आगे पस्त हो गया। आयोजकों ने जहां-जहां संभव हो सका, तिरपाल और प्लास्टिक से पुतलों को बचाने की कोशिश की, लेकिन कुदरत के आगे सब बेअसर रहा। हालांकि, लोग अभी भी उम्मीद में हैं कि बारिश थमे और वे बुराई पर अच्छाई की जीत के इस प्रतीक पर्व का उत्सव देख सकें।