प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
अकोला: हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य डेंगू बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके रोकथाम के उपायों को प्रोत्साहित करना है। अकोला जिले में भी इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जा रहा है।
डेंगू एडिस एजिप्टी नामक संक्रमित डेंगू मच्छर के काटने से फैलता है। यह बीमार उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है और मानसून के दौरान तथा उसके बाद मच्छरों की अनुकूल प्रजनन स्थितियों के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है। भारत में जून से अक्टूबर का समय सबसे अधिक प्रभावित रहता है, हालांकि कुछ क्षेत्रों में सालभर अलग-अलग मामलों का सामना करना पड़ता है।
अचानक तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, स्नायुओं और जोड़ों में दर्द, उलटी और जी मिचलाना, त्वचा पर चकत्ते, हल्का रक्तस्राव (नाक या मसूड़ों से खून आना), गंभीर पेट दर्द, लगातार उलटी, नाक, मसूड़ों या मल-मूत्र में रक्त, त्वचा के नीचे रक्तस्राव, तेज सांस लेना, अत्यधिक थकान, चिड़चिड़ापन और बेचैनी, कुछ मामलों में डेंगू गंभीर रूप ले सकता है, जिसे डेंगू रक्तस्राव बुखार कहा जाता है।
इसमें अंदरूनी रक्तस्राव, अंगों के निष्क्रिय होने और मृत्यु का खतरा रहता है। डेंगू मच्छर चार चरणों में विकसित होता है: अंडा, लार्वा, प्यूपा और वयस्क मच्छर, एडिस एजिप्ती मच्छर मादा स्थिर पानी में अंडे देती है, जो कुछ दिनों में लार्वा में बदलते हैं। 10-14 दिनों में ये प्यूपा में परिवर्तित होकर वयस्क मच्छर का रूप ले लेते हैं, जो डेंगू वायरस फैलाने का काम करते हैं।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी बलीराम गाढवे ने बताया कि घर के आसपास स्वच्छता बनाए रखें और खुले पानी के भंडारण को ढककर रखें। पुराने टायर, टूटे बर्तन, नारियल के खोल आदि में पानी जमा न होने दें। गप्पी मछलियों को बड़े जलाशयों में छोड़ा जाए, ताकि वे मच्छरों के अंडे खा सकें। शौचालय पाइपों पर जाली लगाएं और गटर को साफ रखें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और मच्छरदानी का उपयोग करें। दरवाजों और खिड़कियों पर मच्छररोधी जाली लगाएं। मच्छरों को दूर रखने के लिए क्वाइल और रिपेलेंट का उपयोग करें।
लिवर और किडनी से लेकर शरीर के इन अंगों पर असर करता हैं जानलेवा डेंगू
जिला स्वास्थ्य अधिकारी बलीराम गाढवे ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कर्मचारियों और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से कीटविज्ञान सर्वेक्षण किया जाता है। रोगियों के रक्त नमूने लेकर जांच की जाती है, और जनता को स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान की जाती है।