
‘आवाज के फरिश्ते’ रफी साहब ने सायरा बानो को ऐसे दिया हौसला
Mohammed Rafi Birth Anniversary: मोहम्मद रफी सिर्फ एक महान गायक नहीं थे, बल्कि संवेदनशीलता, विनम्रता और इंसानियत की मिसाल भी थे। उनकी गायकी ने हिंदी सिनेमा को जो ऊंचाई दी, वह आज भी बेमिसाल है। इसी महानता से जुड़ा एक दिल छू लेने वाला किस्सा अभिनेत्री सायरा बानो ने सालों पहले शेयर किया था, जो आज भी रफी साहब की शख्सियत को बयां करता है।
यह किस्सा साल 1967 में आई फिल्म ‘अमन’ से जुड़ा है। फिल्म में दिलीप कुमार और सायरा बानो मुख्य भूमिकाओं में थे। निर्देशक मोहन कुमार चाहते थे कि फिल्म के एक रोमांटिक सीन में सायरा बानो भी गुनगुनाएं और डायलॉग्स को लय में कहें। यह बात सुनकर सायरा बानो बुरी तरह घबरा गईं, क्योंकि उन्होंने इससे पहले कभी कैमरे के सामने गाया नहीं था। ऊपर से सामने थे ‘आवाज के फरिश्ते’ मोहम्मद रफी।
सायरा बानो ने बाद में बताया था कि जब उन्हें रफी साहब के साथ माइक शेयर करना पड़ा, तो वह पत्ते की तरह कांप रही थीं। पसीने से तर थीं और आवाज़ गले में अटक रही थी। उन्हें डर था कि कहीं उनकी गलती से गाने का पूरा सीन खराब न हो जाए। लेकिन तभी रफी साहब ने अपनी दरियादिली दिखाई। रफी साहब ने बेहद प्यार और सादगी से सायरा से कहा था कि सायरा जी, आप बहुत अच्छा कर रही हैं। घबराइए मत, आपकी आवाज बहुत मीठी है।
रफी साहब के इस सहयोग और अपनापन भरे व्यवहार का असर तुरंत दिखा। सायरा का डर कम हुआ और उन्होंने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी लाइन्स रिकॉर्ड कीं। गाना था कि आज की रात ये कैसी रात कि हमको नींद नहीं आती, जो बाद में सुपरहिट साबित हुआ और आज भी क्लासिक रोमांटिक गीतों में गिना जाता है।
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सायरा बानो ने कहा था कि अगर उस दिन रफी साहब का साथ और हिम्मत न मिलती, तो शायद वह यह सीन कभी पूरा नहीं कर पातीं। यही वजह है कि मोहम्मद रफी सिर्फ अपनी आवाज़ से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार से भी अमर हैं। उनकी जयंती पर यह किस्सा याद दिलाता है कि महान कलाकार वही होता है, जो दूसरों को भी आगे बढ़ने का हौसला दे।






