
मालती चाहर ने महिलाओं के पीरियड पेन को लेकर समाज की सोच पर उठाए सवाल
Malti Chahar Interview Siddharth Kannan: बिग बॉस 19 की कंटेस्टेंट रहीं मालती चाहर ने हाल ही में अपने जीवन के एक बेहद दर्दनाक और निजी पहलू को साझा किया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि वह सालों से एक गंभीर बीमारी एडिनोमायोसिस से जूझ रही हैं, जिसकी वजह से पीरियड्स के दौरान उन्हें असहनीय दर्द होता है। हालात ऐसे रहे कि उन्हें हर महीने अस्पताल में भर्ती होना पड़ता था, लेकिन इसके बावजूद कई लोग उनकी परेशानी को समझ नहीं पाए।
सिद्धार्थ कन्नन को दिए इंटरव्यू में मालती ने बताया कि सातवीं क्लास तक उनकी जिंदगी बिल्कुल सामान्य थी, लेकिन इसके बाद उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं। जैसे ही उनके पीरियड्स शुरू हुए, उन्हें बेहद तेज दर्द होने लगा। उन्होंने कहा कि यह दर्द इतना भयानक होता था कि सामान्य दवाओं से भी राहत नहीं मिलती थी। बाद में डॉक्टरों ने उन्हें एडिनोमायोसिस होने की पुष्टि की, जो महिलाओं में होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द और भारी ब्लीडिंग होती है।
मालती ने बताया कि इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे हर महीने अस्पताल जाना पड़ता था और एडमिट होना पड़ता था। डॉक्टर हॉर्मोनल टैबलेट्स देते थे, लेकिन उनके कई साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे ब्लोटिंग और शरीर में बदलाव। मैंने कुछ समय तक ट्रीटमेंट लिया, लेकिन साइड इफेक्ट्स की वजह से छोड़ दिया। अब मैं दर्द के साथ ही जी रही हूं।
मालती ने अपने बचपन की एक याद साझा करते हुए बताया कि जब उन्हें पहली बार पीरियड्स हुए थे, तो वह टीचर्स से पूछती थीं कि लड़कों को ऐसा कुछ क्यों नहीं होता। मालती चाहर ने कहा कि उनके माता-पिता ने कभी लड़का-लड़की में फर्क नहीं किया, लेकिन पीरियड्स शुरू होने के बाद समाज की सोच साफ नजर आने लगी। उन्हें बताया जाने लगा कि लड़कियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
मालती चाहर ने बिग बॉस के अनुभव को लेकर भी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि शो के दौरान जब उन्हें दर्द होता था, तो घर की कई लड़कियां कहती थीं, हर लड़की को होता है, तुझे ही इतना क्यों? इस तरह की बातें उन्हें अंदर से तोड़ देती थीं। उन्होंने कहा कि कोई यह समझने की कोशिश नहीं करता था कि हर महिला का दर्द एक जैसा नहीं होता। मालती का यह खुलासा महिलाओं की सेहत से जुड़े उन मुद्दों को सामने लाता है, जिन पर अक्सर खुलकर बात नहीं होती।






