
कोंकणा सेन शर्मा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Konkona Sen Sharma Birthday Special Story: बॉलीवुड की बहुमुखी और दमदार एक्ट्रेसेस में कोंकणा सेन शर्मा का नाम सबसे ऊपर आता है। उनकी एक्टिंग की खासियत यही है कि वह अपने किरदारों में सिर्फ अभिनय नहीं करतीं, बल्कि पूरी तरह डूब जाती हैं। यही वजह है कि निर्देशक भी उनके काम को देखकर दंग रह जाते हैं। कोंकणा ने हर फिल्म में अपनी संवेदनशीलता, सहजता और भावनात्मक गहराई से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी है।
3 दिसंबर 1979 को कलकत्ता में जन्मीं कोंकणा का बचपन कला और साहित्यिक माहौल में बीता। उनके पिता मुकुल शर्मा लेखक और पत्रकार थे, जबकि मां अपर्णा सेन एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री और निर्देशक हैं। नाना चिदानंद दासगुप्ता भी भारतीय सिनेमा की दुनिया से गहरा नाता रखते थे। ऐसे वातावरण में पली-बढ़ी कोंकणा को अभिनय से प्रेम होना स्वाभाविक था। उन्होंने मात्र चार साल की उम्र में फिल्म ‘इंदिरा’ से अपना सफर शुरू किया था।
कोंकणा को पहली बड़ी पहचान 2001 में अपर्णा सेन निर्देशित फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ से मिली। इस फिल्म में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसके बाद कोंकणा ने ‘पेज 3’ में पत्रकार माधवी शर्मा का किरदार निभाकर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। उनकी निर्भीक और सच्चाई से भरी एक्टिंग ने फिल्म को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया।
2007 में उन्होंने विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘ओंकारा’ में इंदू का रोल निभाया। यह किरदार कोंकणा के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुआ। गांव की बोली, भाषा और मानसिकता को उन्होंने इतने स्वाभाविक तरीके से अपनाया कि निर्देशक भी उनकी गहराई देखकर हैरान रह गए। कोंकणा ने खुद बताया है कि वह हर किरदार को महसूस करके निभाती हैं, तभी उसमें सच्चाई नजर आती है।
अभिनय के अलावा कोंकणा ने निर्देशन में भी कदम रखा। 2006 में उन्होंने ‘नामोकोरन’ नामक बंगाली शॉर्ट फिल्म का निर्देशन किया। आगे चलकर उनकी निर्देशित फिल्में और वेब प्रोजेक्ट्स भी सराहे गए। नेशनल अवॉर्ड, फिल्मफेयर सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार कोंकणा को मिले हैं। उन्होंने हमेशा चुनिंदा भूमिकाएं चुनीं, जिनमें गहराई और कहानी की ताकत हो। कोंकणा सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की एक विशिष्ट और संवेदनशील कलाकार हैं, जिनकी कला आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।






