नीतिन गडकरी ने शपथ ली (सौजन्य- ANI)
नागपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में महाराष्ट्र से नितिन गडकरी को शामिल किया गया है। संघ के गढ़ माने जाने वाले नागपुर में जन्मे और पले-बढ़े 67 वर्षीय गडकरी ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में एक बार फिर कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। गडकरी ने महाराष्ट्र सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक मंत्री रहते हुए सड़कों, राजमार्ग और बंदरगाहों समेत अवसंरचना के क्षेत्र में काफी काम किया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे संबंद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपना सामाजिक-राजनीतिक सफर शुरू वाले नितिन गडकरी ने पहले राज्य स्तर और फिर केंद्र में सड़क परिवहन मंत्रालय में अपने काम को इतनी कुशलता से किया कि लोगों के बीच वह ‘‘हाईवे मैन ऑफ इंडिया” एवं ‘रोडकरी’ के नाम से मशहूर हुए। वह भाजपा के उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिनके मित्र हर राजनीतिक दल में हैं।
गडकरी को पिछले 10 वर्षों में देश में 90,000 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों और 30,000 किलोमीटर नई सड़कों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। इस वर्ष की शुरुआत में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा था कि वह लोगों की यथासंभव मदद करना चाहते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करते रहना चाहते हैं।
गडकरी ने नागपुर लोकसभा सीट पर निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के विकास ठाकरे को एक लाख 37 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। उन्हें इस सीट से लगातार तीसरी बार सफलता मिली है। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में एक मध्यमवर्गीय कृषि परिवार में 1957 में जन्मे गडकरी बचपन से ही आरएसएस से जुड़ गए थे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में छात्र नेता के रूप में काम करते हुए उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की सदस्यता ली।
गडकरी का राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश तब हुआ जब उन्हें 2009 में भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह 1989 में महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य बने। उन्होंने 1995 से 1999 तक महाराष्ट्र में लोक निर्माण विभाग मंत्री के रूप में काम किया और राज्य में राजमार्गों, खासकर मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे और अनेक फ्लाईओवर के निर्माण के बाद उन्हें राजनीतिक हलकों और जनता के बीच ‘फ्लाई ओवर मैन’ कहा जाने लगा।
सड़कों के विकास के लिए उनके महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के चलते शिवसेना के दिवंगत प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने एक बार गडकरी को नितिन ‘रोडकरी’ कहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 2014 में सत्ता में आने के बाद गडकरी को सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी।
मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में गडकरी जब एक बार लोकसभा में सदस्यों के बंदरगाह संबंधी प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे, तो उनके जवाबों पर संतोष जताते हुए तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा था कि गडकरी पहले ‘रोडकरी’ कहलाए और अब उन्हें ‘पोर्टकरी’ कहा जाना चाहिए।
वह 2009 तक महाराष्ट्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे और इसके बाद उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। भाजपा की वेबसाइट के अनुसार वह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले पार्टी के सबसे कम उम्र के नेता थे। गडकरी इस पद पर 2013 तक रहे। माना जाता है कि संघ के करीबी होने की वजह से गडकरी को कम उम्र में ही यह बड़ी जिम्मेदारी मिल गई थी।
पेशे से उद्योगपति गडकरी ने एम.कॉम, एलएलबी और डिप्लोमा इन बिजनेस मैनेजमेंट (डीबीएम) की डिग्री प्राप्त की हैं। कई बार सियासी हलकों और मीडिया की खबरों में गडकरी को प्रधानमंत्री मोदी के विकल्प के तौर पर भी पेश किया जाता रहा है, लेकिन वह स्वयं इस तरह की अटकलों को खारिज करते रहे हैं। अगस्त, 2022 में जब गडकरी को भाजपा के नवगठित संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल नहीं किया गया था, तो कुछ विपक्षी नेताओं ने इसके राजनीतिक निहितार्थ निकालते हुए इसे इस तरह पेश किया था कि भाजपा में और जनता के बीच गडकरी के बढ़ते कद को लेकर उन्हें हटाया गया है।
(एजेंसी-इनपुट के साथ)