दुष्कर्म का आरोपी बरी (pic credit; social media)
Thane Court News: ठाणे की अदालत ने एक अहम मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने शादी का वादा करके दुष्कर्म के आरोप में फंसे एक व्यक्ति को सबूतों के अभाव और पीड़िता की गवाही में विरोधाभासों के चलते बरी कर दिया है।
मामला वर्ष 2016 का है। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि विजय दिनेश मिश्रा नामक युवक ने शादी का झांसा देकर उसका बार-बार यौन शोषण किया और उससे करीब 6.4 लाख रुपये भी ठगे। इसके बाद पीड़िता ने आरोपी पर बलात्कार, मारपीट, धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज कराया।
सात साल तक चली इस सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने पीड़िता, उसके पिता और दो अन्य समेत कुल चार गवाहों को अदालत में पेश किया। लेकिन अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.एस. देशमुख ने पाया कि पीड़िता की गवाही और उसकी पहली दर्ज शिकायत में कई विरोधाभास हैं।
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अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कथित घटना जनवरी 2016 से शुरू हुई थी, लेकिन पीड़िता ने शिकायत अक्टूबर 2016 में दर्ज कराई। इस लंबे विलंब से यह प्रतीत होता है कि दोनों के बीच का संबंध सहमति से बना था। साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता की चुप्पी इस बात पर संदेह पैदा करती है कि आरोपी ने उसके साथ बार-बार बलात्कार किया।
रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट में महिला के कपड़ों पर मानव रक्त मिलने की पुष्टि हुई, लेकिन अभियोजन पक्ष इस रक्त को आरोपी से जोड़ने के लिए कोई ठोस साक्ष्य पेश करने में असफल रहा। इसके अलावा, महिला और उसके पिता ने भी यह स्वीकार किया कि उन्होंने आरोपी से समझौता किया और उससे पैसे लिए।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के अपराध को संदेह से परे साबित नहीं कर पाया। परिणामस्वरूप, अदालत ने आरोपी विजय दिनेश मिश्रा को बरी कर दिया।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देशभर में महिला उत्पीड़न और यौन अपराधों को लेकर लगातार बहस हो रही है। अदालत का यह निर्णय एक बार फिर इस सवाल को खड़ा करता है कि क्या लंबी कानूनी प्रक्रिया और कमजोर साक्ष्य न्याय दिलाने में सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं।