वसई विधानसभा सीट (डिजाइन फोटो)
पालघर: महाराष्ट्र में लोकतंत्र के महापर्व का आयोजन होने जा रहा है। सभी राजनीतिक दल इस महापर्व की तैयारियों में जुटे हुए हैं। किसी-किसी ने तो तैयारियां लगभग पूरी भी कर ली हैं, बस उन्हें चुनाव आयोग की तरफ से होने वाले औपचारिक शंखनाद का इंतजार है। शंखनाद के बाद शह और मात का खेल शुरू हो जाएगा। प्रदेश के 288 जगहों पर आयोजित होने वाले इस महापर्व में कौन कहां उत्सव मनाएगा हम भी इस आकलन में लगे हुए हैं और सीट दर सीट विश्लेषण आप तक पहुंचा रहे हैं।
सीट दर सीट विश्लेषण के इस सफर में आज हमारा पड़ाव वसई पहुंच चुका है। पालघर जिले और लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली इस सीट पर पार्टियों से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी का दबदबा रहा है। यहां अब तक हुए 10 चुनाव में चार बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है। जबकि पिछले 2 बार से यहां बहुजन विकास अघाड़ी को जनता जनादेश देती आ रही है।
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वसई के चुनावी इतिहास में 2 बार जेएनपी तो दो बार कांग्रेस को जीत दर्ज की है। इसके अलावा चार बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। पिछले दो बार से यहां बहुजन विकास अघाड़ी के संस्थापक हितेन्द्र ठाकुर जीत दर्ज करते आ रहे हैं। वहीं, इससे पहले हितेन्द्र ने 1990 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। जबकि, 1995, 1999 और 2004 में उन्होंने यहां निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर बाजी मारी थी।
वर्ष | प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट |
2019 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | बीवीए | 102950 |
2014 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | बीवीए | 97291 |
2009 | विवेक रघुनाथ पंडित (भाऊ) | निर्दलीय | 81358 |
2004 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | निर्दलीय | 161718 |
1999 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | निर्दलीय | 85352 |
1995 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | निर्दलीय | 81463 |
1990 | हितेंद्र विष्णु ठाकुर | कांग्रेस | 92958 |
1985 | डोमिनिक जॉन गोंसाल्वेस | जेएनपी | 46633 |
1980 | ताराबाई नरसिंह वर्तक | कांग्रेस | 34627 |
1978 | पंढरीनाथ रघुनाथ चौधरी | जेएनपी | 49163 |
अनारक्षित श्रेणी में आने वाली इस विधानसभा सीट पर क्रिश्चियन-मुस्लिम गठजोड़ उम्मीदवारों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। 2019 के आंकड़ों के मुताबिक यहां कुल 2 लाख 84 वोटर्स में से 38 हजार 500 के करीब क्रिश्चियन वोटर्स हैं। इसके अलावा 24 हजार के आस-पास मुस्लिम मतदाता भी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं। बात करें दलित वोटर्स की तो उनकी संख्या करीब तीन फीसदी है। जबकि आदिवासी वोटर्स 10 प्रतिशत के आस पास हैं।
वसई विधानसभा सीट पर 1990 से लेकर अब तक केवल 2009 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो हितेन्द्र ठाकुर का एक छत्र राज रहा है। फिर चाहे उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मोर्च संभाला हो या फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हों। 2009 में भी यहां बहुजन विकास अघाड़ी के टिकट पर नारायण मनकर ने चुनाव लड़ा था। माना यही जाता है कि हितेन्द्र अगर मैदान में होते तो 2009 में भी जीत दर्ज करते। इस लिहाज से इस बार भी यहां उन्हीं की जीत तय मानी जा रही है।
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