(डिजाइन फोटो)
नासिक: महाराष्ट्र के चुनावी समर में हर एक पार्टी का उम्मीदवार दो-दो हाथ करने को तैयार है। हर एक सीट मोर्चे की तरह नज़र आ रही है। चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही अभी नहीं हुआ है, लेकिन हर पार्टी ने कमर कस ली है। इस चुनावी माहौल में चेहरों की तलाश और रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया है। सबकी नजरें इस पर टिकी है कि कौन सीट किस के खाते में जाती है। गठबंधनों में अपनी-अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने के लिए दांव-पेंच शुरू कर दिए हैं।
इस चुनाव समरबेला में हम भी हर सीट महत्वपूर्ण जानकारियां आप तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं। हर सीट कर इतिहास और आज के राजनीतिक समीकरणों को जानने के लिए हर महाराष्ट्र की हर विधानसभा सीट की प्रोफाइल तैयार कर आप तक पहुंचा रहे हैं। इसी कड़ी में आज बारी है नासिक की नांदगांव विधानसभा सीट की। जहां मौजूद समय में शिवसेना के सुहास कांडे विधायक हैं।
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नांदगांव विधानसभा सीट नासिक जिले के अंतर्गत डिंडोरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (एसटी) का एक हिस्सा है। यह सीट 1962 से अस्तित्व में है। इस सीट पर विविधता में एकता की झलक दिखाई देती है। कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी के साथ-साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार भी इस सीट से जीत का स्वाद चख चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ-सबका विकास वाले नारे को यहां के मतदाताओं ने चिरतार्थ किया हैं। लेकिन मजे की बात यह है कि नांदगांव विधानसभा सीट से अब तक बीजेपी का खाता नहीं खुला है।
बात करें यहां के जातीय आंकड़ों की तो 37 हजार 665 एससी वोटर्स हैं। जो कि कुल वोट का करीब 11.85 फीसदी हैं। इसके अलावा 16.18 प्रतिशत के आस-पास आदिवासी वोटर्स भी हैं। 5.5 फीसदी के करीब मुस्लिम मतदाता भी लोकतंत्र में भागीदारी निभाते हैं।
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नांदगांव विधानसभा सीट के इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि यहां कि जनता के मन में क्या हैं यह पता लगा पाने कठिन है। क्योंकि हर बार यहां के वोटरों ने सियासत के बड़े-बड़े सूरमाओं के कान खड़े कर दिए हैं। यहां के वोटरों ने हर बार एक नई पार्टी या नए उम्मीदवार के किस्मत के दरवाजे खोले हैं। 2004 के बाद यहां शिवसेना और एनसीपी ने अपनी पकड़ मजबूत की है।
नांदगांव सीट पर टिकट बंटवारे को लेकर महायुति में घमासान मच सकता है। क्योंकि मौजूदा विधायक शिवसेना के हैं लेकिन 2004 और 2009 में यहां से एनसीपी नेता छगन भुजबल के बेटे पंकज भुजबल ने जीत हासिल की थी। 2019 में सुहास कांडे ने पंकज भुजबल को हराया था। लेकिन इस बार यह दोनों पार्टियां सत्ताधारी गठबंधन महायुति में शामिल है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि यह सीट किस दल के खाते में जाती हैं और यहां की जनता किसे विधायक का ताज पहनाती हैं।