मुंबई: इगतपुरी विधानसभा सीट नासिक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और यह महाराष्ट्र के 228 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। कांग्रेस के लिहाज से यह सीट बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि लगातार 15 साल से कांग्रेस का सीट पर दबदबा है। तो वहीं भाजपा के लिए भी ये सीट अहम है, क्योंकि वह इस बार कांग्रेस का विजय रथ रोकना चाहती है। चलिए जानते हैं क्या है इस बार इस सीट के लिए पूर्वानुमान, महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है 20 नवम्बर को मतदान और 23 तारीख को वोटों की गिनती होगी।
इगतपुरी विधानसभा सीट रिजर्व्ड सीट है और यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। दरअसल इस विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या 1,43, 812 है जो कुल जनसंख्या का 55% है। ऐसे में इस समुदाय के लोगों को जिस उम्मीदवार ने अपने साथ ले लिया उसकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है।
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इगतपुरी विधानसभा सीट का इतिहास
इगतपुरी विधानसभा सीट पर पहली बार चुनाव साल 1972 में हुआ था। जब कांग्रेस के विट्ठल गणपत घारे ने यहां से जीत हासिल की थी। तब से लेकर 2019 तक कांग्रेस ने करीब 5 बार यहां से जीत हासिल की है। दो बार शिवसेना एक बार भारतीय जनता पार्टी और दो बार कांग्रेस (आई) इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। पिछले 3 बार से कांग्रेस ही जीतती आई है। मोदी लहर में भी कांग्रेस ने यहां की जीत बरकरार रखा था। कुल मिलाकर इगतपुरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी है। लेकिन बीजेपी भी कांग्रेस के विजय रथ को रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
किसने कब जीत हासिल की
2019: हीरामन भीका खोसकर, कांग्रेस
2014: गावीत निर्मला रमेश, कांग्रेस
2009: गावित निर्मला रमेश, कांग्रेस
2004: मेंगल काशीनाथ दगडू, एसएचएस
1999: गंगाड़ पांडुरंग चापू (बाबा), एसएचएस
1995: ज़ोल शिवराम शंकर, कांग्रेस
1990: यादवराव आनंदराव बाम्बले, भाजपा
1985:ज़ोल शिवराम शंकर, आईसीएस
1980: घारे विट्ठलराव गणपत, कांग्रेस(आई)
1978: वाघ भाऊ सकरू, कांग्रेस(आई)
1972: घारे विट्ठल गणपत, कांग्रेस
इगतपुरी सीट का जातीय समीकरण
इगतपुरी सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2,61,382 है। जिनमें अनुसूचित जनजाति के मतदाता सबसे अधिक हैं। यह मतदाता 55.02 प्रतिशत हैं। जबकि अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 18,898 है जो कुल जनसंख्या का लगभग 7% है। ग्रामीणों की आबादी 81 फ़ीसदी तो वहीं शहरी जनसंख्या 18 फ़ीसदी के आसपास है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अनुसूचित जनजाति के समुदाय को जिस उम्मीदवार ने अपना बना लिया उसकी जीत तय मानी जाती है।