निर्वाचन आयोग (सोर्स: सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन का अंतिम दिन था। प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिए। वहीं एक पार्टी ने चुनाव को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है। पार्टी प्रत्याशियों को एक जैसा चुनाव चिह्न देने की मांग करते हुए चुनाव आयोग के पास आवेदन किया गया किंतु उस पर किसी तरह का निर्णय नहीं होने तथा नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया होने का हवाला देते हुए जय विदर्भ पार्टी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एक जैसा चुनाव चिह्न देने की मांग करते हुए चुनाव आयोग के पास आवेदन किया गया था किंतु 8 माह बीतने के बाद भी इस आवेदन पर निर्णय नहीं किया गया।
जय विदर्भ पार्टी ने 3 दिनों के भीतर इस आवेदन पर निर्णय करने का आदेश चुनाव आयोग को देने का अनुरोध किया गया। सुनवाई के दौरान भारत निर्वाचन आयोग ने याचिकाकर्ता के दावे पर निर्णय करने का आश्वासन दिया। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अधि। नीरजा चौबे ने पैरवी की।
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि भारत निर्वाचन आयोग के सचिव के पास 21 मार्च 2024 को ही आवेदन किया गया था। इस आवेदन पर किसी भी तरह का निर्णय नहीं होने पर 20 अगस्त 2024 को फिर से स्मरण पत्र भी भेजा गया। स्मरण पत्र के बावजूद कोई निर्णय नहीं होने से मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि विदर्भ के राजनीतिक और सामाजिक, आर्थिक मुद्दों को लेकर पार्टी का गठन किया गया है। पार्टी की समिति द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार जय विदर्भ पार्टी अध्यक्ष ने याचिका दायर करने का निर्णय लिया। चुनावों में चिह्न वितरण कर पारदर्शी चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग पर है। चुनाव प्रबंधन के लिए राज्य चुनाव आयोग को वैधानिक जिम्मेदारी प्रदान की गई है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इलेक्शन सिम्बल्स (रिजर्वेशन एंड एलाटमेंट) ऑर्डर 1968 के नियम 10बी के अनुसार पार्टी के प्रत्याशियों को एक जैसा चुनाव चिह्न ‘मोबाइल फोन’ की मांग चुनाव आयोग से की थी। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि चुनाव आयोग ने न तो इस संदर्भ में निर्णय लिया गया और न ही निर्णय नहीं लिए जाने के कारणों का खुलासा किया गया है।
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सुनवाई के दौरान भारत निर्वाचन आयोग की ओर से पैरवी कर रहीं अधिवक्ता नीरजा चौबे ने कहा कि याचिकाकर्ता के दावे पर 2 सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाएगा। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से आश्वासन दिए जाने का हवाला देते हुए कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया।