
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में आखिरकार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 36 सीट पर हरा दिया है। इस बार सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के घटक दल शिवसेना (शिंदे गुट) ने 81 सीट पर चुनाव लड़कर जहां 57 सीट जीतीं। वहीं विपक्षी महा विकास आघाडी की सहयोगी दल शिवसेना (यूबीटी) 95 उम्मीदवार उतारने के बावजूद केवल 20 सीट ही जीत पाई।
इस तरह देखा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने 14 सीट पर शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवारों को हराया। शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का मत 12।38% रहा, इसकी तुलना में शिवसेना (यूबीटी) का मत 9.96% रहा था। BJP के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने शनिवार को महाराष्ट्र में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की और 288 विधानसभा सीट में से 230 सीट पर जीत हासिल की।
लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस शिंदे की पार्टी को लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी, उसे क्यों इस बार जनता ने सिर आंखों पर बिठा लिया। वे सारे विधायक फिर जीते, जो उद्धव ठाकरे से बगावत करके शिंदे के साथ चले गए थे। क्या इसके पीछे ‘धनुष बाण’ कनेक्शन है।
जहां लोकसभा चुनाव में शिवसेना का चुनाव चिह्न ‘धनुष बाण’ को इलेक्शन कमीशन ने जब्त कर रखा था। तब उद्धव गुट वाली शिवसेना का नया चुनाव चिह्न ‘मशाल’ था, वहीं एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को ‘दो तलवार और ढाल’ वाला चुनाव चिह्न मिला था। ऐसे में लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के बीच एक भ्रम की स्थिति रही थी।
महाराष्ट्र चुनाव की ख़बरों के लिए यहां क्लीक करें
लेकिन फिर विधानसभा चुनाव आते-आते मामला सुलटा औरशिंदे की शिवसेना को फिर वही ‘धनुष बाण’ मिल गया जो शिवसेना का परंपरागत चुनाव चिह्न रहाथा। विधानसभा चुनाव में इसका नतीजा सिफर रहा और एकनाथ शिंदे उद्धव पर भारी पड़ गए । दरअसल मतदाताओं ने इस बार एकनाथ शिंदे को असली शिवसेना माना और उनका साथ देते नजर आए। लेकिन उद्धव ठाकरे को लोकसभा चुनाव में मिली सहानुभूति की लहर का फायदा इस चुनाव में इस बार नहीं मिला।
देखा जाए तो एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के लिए यह चुनाव ‘असली सेना’ की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था। हालांकि, जिसे अब शायद शिंदे जीत चुके हैं और ठाकरे गुट पर भीरा पड़ गए।
लेकिन NDA की जीत के बाद अब सबको इंतजार इस बात का है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अब कौन बैठेगा। अब महायुति की सिर्फ नंबर एक और नंबर दो की पार्टी की बात करें तो इस वक्त एकनाथ शिंदे उसी पोजीशन में है, जो साल 2019 के महाराष्ट्र चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे की थी। साल 2019 दोनों दल BJP और शिवसेना ने एकसाथ चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों दल भिड़ गए थे।
महाराष्ट्र चुनाव की ख़बरों के लिए यहां क्लीक करें
तब BJP ने 105 सीटें जीती थीं, वहीं शिवसेना 56 सीटें जीतीं थी। चुनावी नतीजों बाद दोनों दलों में मुख्यमंत्री पद के लिए तकरार शुरू हुई थी। तब उद्धव ठाकरे बारी-बारी से दोनों दलों के लिए मुख्यमंत्री पद चाहते थे, यानी ढाई साल BJP और ढाई साल के लिए शिवसेना का मुख्यमंत्री हो। हालांकि, बीजेपी ने इस व्यवस्था से साफ इनकार कर दिया था जिसके बाद शिवसेना ने गठबंधन तोड़ दिया था।
अब देखना है कि क्या एकनाथ शिंदे इस बार मुख्यमंत्री पद पर समझौता करेंगे। हालांकि इस बार एक बड़ा अंतर है और वह है कि BJP ने अब इतनी सीटें जीत ली हैं कि अगर कोई एक सहयोगी दल साथ छोड़ भी दे तो भी वह जादुई आंकड़ा आसानी से पा लेगी। अब अगर CM पद को लेकर एकनाथ शिंदे और BJP भिड़ती है और शिवसेना अलग भी होती है तो भी BJP अब अजीत की NCP के साथ आसानी से महाराष्ट्र में सरकार बना सकती है।






