संबित पात्रा, सुप्रिया सुले व नाना पटोले (सोर्स: सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: महाराष्ट्र चुनाव के लिए मतदान से एक दिन पहले उठे बिटकॉइन विवाद को लेकर भाजपा ने एनसीपी (शरदचंद्र पवार) सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले पर हमला तेज कर दिया है। भाजपा ने चुनाव के खर्च के लिए अवैध रूप से बिटकॉइन का उपयोग करने में कथित संलिप्तता का आरोप लगाया है।
भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को चुनाव के खर्च के लिए अवैध रूप से ‘बिटकॉइन’ का उपयोग करने में कथित संलिप्तता के लिए महाराष्ट्र के विपक्षी नेताओं सुप्रिया सुले और नाना पटोले पर निशाना साधते हुए दावा किया कि जांच के दौरान उनकी भूमिका सामने आ जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष से इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए कहा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा नेता संबित पात्रा ने विपक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि महाराष्ट्र चुनाव के बीच उसे निशाना बनाने की ‘साजिश’ के पीछे भाजपा का हाथ था।
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उन्होंने दावा किया कि संदिग्ध ‘क्रिप्टो’ मुद्रा धोखाधड़ी वर्षों पहले हुई थी और विपक्षी गठबंधन ने पिछले चुनाव में भी पैसे का इस्तेमाल किया था। उन्होंने दावा किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस घोटाले में अब तक की कुल धनराशि 235 करोड़ रुपए है।
बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने भाजपा के आरोपों को फर्जी बताकर खारिज कर दिया जिसमें कथित तौर पर उनकी आवाज वाले ऑडियो रिकॉर्ड भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग और महाराष्ट्र पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
सुप्रिया सुले ने कहा कि “ईमानदार मतदाताओं को बरगलाने के लिए झूठी सूचना फैलाने की यह प्रचलित रणनीति है।” सुले ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि “इसके पीछे की मंशा और दुर्भावनापूर्ण कारक पूरी तरह से स्पष्ट हैं और यह निंदनीय है कि ऐसी गतिविधियां भारतीय संविधान द्वारा निर्देशित स्वस्थ लोकतंत्र में हो रही हैं।”
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भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि यह मामला तब सामने आया जब ‘क्रिप्टो मुद्रा’ व्यापार से कथित तौर पर जुड़े गौरव मेहता ने इस मामले को सार्वजनिक करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें विपक्षी नेताओं की मदद के लिए बिटकॉइन भुनाने के बाद अपनी जान को खतरा होने का डर था।
भाजपा नेता ने दावा किया कि इस मामले की जड़ें वर्ष 2018 के ‘क्रिप्टो मुद्रा’ धोखाधड़ी से जुड़ी हैं और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के एक पूर्व अधिकारी रवींद्रनाथ पाटिल, जो निजी क्षेत्र में शामिल हो गए थे और जांच में मदद करने के लिए एक विशेषज्ञ के रूप में चुने गए थे, क्रिप्टो मुद्रा के कथित दुरुपयोग के लिए गिरफ्तार हुए थे। पाटिल की टिप्पणियों का हवाला देते हुए पात्रा ने दावा किया कि इस मामले में दो अन्य आईपीएस अधिकारी शामिल थे।