सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एसिड हमला पीड़ित और दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए E-KYC का सुविधा हर हाल में उपलब्ध कराने को लेकर प्रक्रिया में बदलाव करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह भी कहा है कि दिव्यांगों के लिए हर हाल में ई-केवाईसी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि बैंक खाता खोलने या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में होने वाली KYC पहचान में आंखों के झपकने की फोटो खींचने की व्यवस्था है, लेकिन आंखों में हुए स्थायी नुकसान के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को ऐसे दिव्यांगों के लिए वैकल्पिक डिजिटल KYC की व्यवस्था रखने को कहा है। कोर्ट ने दिव्यांगों के अलावा दूरदराज इलाके में रहने वाले लोगों के लिए भी डिजिटल एक्सेस में हो रही दिक्कतों को दूर करने के लिए कहा है। कोर्ट ने ये भी माना कि डिजिटल सेवाओं तक पहुंच समानता और सम्मान से जीवन जैसे मौलिक अधिकारों से जुड़ा है।
कोर्ट ने कहा कि विकलांगों के लिए केवाईसी प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है क्योंकि नेत्रहीन और एसिड अटैक पीड़ित फेशियल विकृति के कारण इस प्रक्रिया को पूरी करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधान केवाईसी प्रक्रिया में शामिल होने का याचिकाकर्ताओं को वैधानिक अधिकार प्रदान करते हैं। केवाईसी दिशा-निर्देशों को एक्सेसिबिलिटी कोड के साथ संशोधित करने की जरूरत है।
कोर्ट में दायर याचिकाओं में एक एसिड अटैक पीड़िता के मामले से जुड़ी थी। इसमें बताया गया कि साल 2023 में वह ICICI बैंक में अकाउंट खुलवाने के लिए गईं, लेकिन वह KYC प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकीं क्योंकि बैंक का कहना था कि उन्हें पलक झपकाते हुए लाइव फोटो का खिंचवाना जरूरी था।
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आरबीआई की पूर्व में जारी गाइडलाइन में नियम है कि ग्राहक की जीवंतता साबित करने के लिए पलक झपकाते हुए लाइव फोटो खिंचवाना जरूरी है। इसके बाद ही केवाईसी प्रक्रिया पूरी होती है। हालांकि इस मुद्दे को लेकर हंगामा मचने के बाद बैंक ने याचिकाकर्ता को अपवाद बना दिया। ऐसे ही कई और याचिकाकर्ता भी इस तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं।