बिहार के बाद अब दिल्ली में होगी SIR की प्रक्रिया
Special Intensive Revision in Delhi: बिहार के बाद अब दिल्ली में मतदाता सूची को अपडेट करने की एक बड़ी प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। चुनाव आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की तैयारी शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह से सटीक और गलती रहित बनाना है। इस अभियान की तारीखों की घोषणा जल्द ही की जाएगी, लेकिन दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) कार्यालय ने प्रक्रिया से जुड़े महत्वपूर्ण निर्देश जारी कर दिए हैं, जिससे मतदाताओं के लिए नियमों को समझना आवश्यक हो गया है।
चुनाव आयोग की यह कवायद उसके संवैधानिक कर्तव्य का हिस्सा है, जिसके तहत मतदाता सूची की क्लीयरनेस और समग्रता सुनिश्चित की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए सभी संबंधित अधिकारियों, जैसे जिला चुनाव अधिकारियों और बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में बीएलओ नियुक्त किए गए हैं, जो एसआईआर के दौरान घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे। दिल्ली सीईओ कार्यालय ने मतदाताओं की सुविधा के लिए 2002 की मतदाता सूची को ऑनलाइन भी उपलब्ध करा दिया है।
CEO Delhi has started preparations for successful conduct of SIR-2025 in Delhi.
-Voter list of SIR-2002 and mapping with present constituencies uploaded
Check voter list (2002): https://t.co/8cUyGyKBEZ
Check constituency mapping: https://t.co/SXYDrEktk1#SIR2025 @ECISVEEP pic.twitter.com/sUzDqzfGW9— CEO, Delhi Office (@CeodelhiOffice) September 17, 2025
इस पुनरीक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा 2002 की मतदाता सूची से मिलान करना है। जिन मतदाताओं के नाम 2002 और 2025 दोनों की मतदाता सूचियों में मौजूद हैं, उन्हें केवल गणना प्रपत्र के साथ 2002 की सूची का अंश जमा करना होगा। हालांकि, यदि किसी मतदाता का नाम 2002 की सूची में नहीं है, लेकिन उनके माता-पिता का नाम उस सूची में दर्ज है, तो उन्हें गणना प्रपत्र और माता-पिता के नाम वाले सूची के विवरण के साथ एक अतिरिक्त पहचान प्रमाण भी प्रस्तुत करना होगा।
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दिल्ली से पहले यह प्रक्रिया बिहार में लागू की गई थी, जहां इसे लेकर काफी राजनीतिक बहस हुई। विपक्षी दलों सहित कई आलोचकों ने आरोप लगाया कि बिना पर्याप्त सत्यापन के कई वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए। इस प्रक्रिया के बाद बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या लगभग 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ हो गई थी। यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा, जिसने चेतावनी दी कि यदि प्रक्रिया में कोई अवैधता पाई गई तो वह इसे रद्द कर सकता है। न्यायालय ने बिहार एसआईआर में पहचान या निवास के प्रमाण के लिए आधार को एक वैध दस्तावेज के रूप में मानने का आदेश भी दिया था। इस मामले पर अंतिम बहस 7 अक्टूबर को होनी है।